Wednesday, October 7, 2020

नागराज एक विलक्षण योद्धा






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विकास दास जी की कलम से  

नागराज एक विलक्षण योद्धा.......


कॉमिक्स का नाम याद आती है कॉमिक्स प्रेमियों के बीच में कई कॉमिक्स हीरो के करैक्टर उभर कर आते हैं और हर किसी की अपनी अपनी पसंद है!

कॉमिक्स इतिहास बहुत विस्तृत नहीं है ,भारत में 70 के दशक से कॉमिक्स इतिहास की शुरुआत हुई और फिर शुरू हुआ कॉमिक्स में सुपर हीरो का दौर जो कुछ न्यूज़ पत्रिकाओं के बीच में ही प्रकाशित हुआ करता था या  उस समय प्रकाशित होने वाले  साप्ताहिक या मासिक पत्रिकाओं के बीच में भी यदा-कदा दिखाई दिया करते थे  जैसे #प्राण जी का चाचा चौधरी सबसे पहले लोटपोट पत्रिका में दिखाई दिया, उस दौर के पत्र-पत्रिकाओं में ज्यादातर विदेशी कॉमिक्स कैरक्टर्स के  छोटे-छोटे कॉलम वाली स्टोरी आती थी !

उसके बाद डायमंड कॉमिक्स में दाबू राजन इकबाल लंबू मोटू लंबू छोटू शुरुआत के तौर पर उभर कर आए लेकिन इनमें से इनमें से कोई भी करैक्टर ऐसा नहीं था जो उस दौर के मार्बल डीसी के सुपरमैन की टक्कर लेता हो उसके बाद डायमंड कॉमिक्स का सबसे पहला कॉमिक्स एडिशन जो प्रकाशित हुआ उसमें एक ऐसा हीरो आया जो वास्तव में सुपरमैन जैसी छवि रखता था मेरा पसंदीदा #फौलादी_सिंह


लेकिन इतने से भी बात नहीं बन रही थी कॉमिक्स प्रेमियों को उस दौर में अभी भी एक्शन पैक्ड हीरो की जरूरत महसूस हो रही थी शायद यह दौर वह दौर था जब राजेश खन्ना ,देवानंद जैसे हीरो अपनी ढलान पर थे क्योंकि आप 80 के दशक की फिल्में देखिए वह आपको भरपूर मारधाड़ से भरी पड़ी मिलेंगी उस दौर में मिथुन चक्रवर्ती अमिताभ बच्चन, गोविंदा ,अनिल कपूर, संजय दत्त जैसे हीरो और उनकी एक्शन फिल्में देखने को मिलेंगी

लेकिन कॉमिक्स के साथ ऐसा नहीं था उस दौर में कॉमिक्स इंडस्ट्री में जासूसी करैक्टर और जासूसी को साथ हास्य मिला जुला रहता था बहुत देखने को मिलते थे जैसे लंबू मोटू ,मोटू छोटू ,लंबू छोटू ,दाबू ,सागर सलीम अमर अकबर ,इंस्पेक्टर मनोज ,,मकड़ी रानी, इंस्पेक्टर गिरीश ,राम रहीम ,कर्नल करण और भी ना जाने कितने जासूसी पात्र आपको ढूंढने से मिल जाएंगे लेकिन फुल टाइम एक्शन हीरो का दूर-दूर तक कोई नामोनिशान नहीं था मनोज कॉमिक्स में काफी सारे करैक्टर थे लेकिन जैसा कि मनोज कॉमिक्स के अंतिम दौर में उनके पास खूब सारे एक्शन और सुपर नेचुरल पावर हीरो वाले थे लेकिन 80 के दौर में वह भी उनके पास नदारद थे !

हास्य और जासूसी के दौर में मनोज कॉमिक्स के पास महाबली शेरा और काला प्रेत जैसे कॉमिक्स करैक्टर तो थी लेकिन वह सुपर नेचुरल पावर लिए हुए नहीं थे इसीलिए मनोरंजन नाम पर उस समय सिर्फ एक्शन पैक्ड फिल्में थी और कॉमिक्स के नाम पर सिर्फ जासूसी पत्रिकाएं या जासूसी कॉमिक्स या हास्य कॉमिक्स ही उपलब्धि थी!

उस दौरान राज कॉमिक्स भी कॉमिक्स की दुनिया में पकड़ बना रहा था और उनके पास भी काफी अच्छी कहानियां और पात्र थे लेकिन उन पात्रों में #गगन और #विनाशदूत पाठकों के बीच में एंट्री ले चुके थे और पाठक गण वह पात्र पसंद भी आने लगे थे लेकिन वह रिक्त स्थान नहीं भर पा रहा था जो एक सुपर हीरो सुपरमैन को टक्कर दे सके


फिर आया साल 1986 और हमारा #क्लासिकल_नागराज


वैसे तो मैं 1982 की पैदाइश हूं और मैंने सबसे पहली बांकेलाल की कॉमिक्स 1989 मे पढ़ी थी (जिसे पढ़कर मैं इतना हंसा ऐसी हंसी फिर कभी मुझे आज तक कभी नहीं आई) 

मेरे बड़े भाई लोग सभी कॉमिक्स के शौकीन थे और उन लोगों के कारण ही मैं कॉमिक्स का दीवाना बना मेरे बड़े कॉमिक्स लेकर आया करते थे और मैं उस समय सिर्फ हास्य कॉमिक्स को ढूंढा करता था जो मुझे बड़ी आसानी से सुलभ हो जाया करती थी


लेकिन एक दिन मैंने पढ़ ली #नागराज 


शायद गर्मियों की छुट्टी की बात है उस समय हमारे घर के आसपास खूब खाली जगह हुआ करती थी और पूरा गांव अमरूद और आम बगीचों से भरा पूरा था और हमारा घर बिल्कुल एकांत में था मुझे आज भी याद है मेरे बड़े भाई पंकज का एक मित्र अनिल जो राजस्थान निवासी था और उनके पिताजी यहां आर्मी कैंट में जॉब किया करते थे ,वह घर पर आया लेकिन घर पर उस समय कोई नहीं था मैं और मेरी मां कि घर पर मौजूद थे अनिल को भी कॉमिक्स पढ़ने का खूब शौक था मेरे पास कुछ कॉमिक्स रखी देखकर उसने मुझे कहा कि यह कॉमिक्स मुझे चाहिए लेकिन मैंने भी उसके सामने यह शर्त रख दी कि इसके बदले में कोई कॉमिक्स लेकर आए वह तुरंत अपने घर दौड़ा-दौड़ा गया और नागराज और नागराज का बदला कॉमिक्स लेकर आ गया जिसके बदले में मैंने उसे बांकेलाल की दो या तीन कॉमिक्स पढ़ने के लिए दे दी लेकिन मेरे लिए ऐसी जटिल कॉमिक्स पढ़ना बहुत बड़ी बात थी लेकीन मैंने किसी तरह मन मार कर नागराज कॉमिक्स तो पढ़ ली लेकिन मेरे उस समय होश उड़ गए जब मैंने उसका दूसरा पार्ट नागराज की कब्र के बारे में पढ़ा लेकिन वह कॉमिक्स मेरे पास तो थी ही नहीं अब नागराज का बदला पढ़ कर क्या करना था (इस पर मेरे भाई पंकज और संजय ने मुझे घर आकर बहुत कूटा)

ही ही ही बू हू हू 😂😭 भाई लोग मुझे बोले इस कॉमिक्स का क्या फायदा कि इसका दूसरा पार्ट अब मिलेगा नहीं यह और यह कहानी हमारी बर्बाद हो गई.....

और मैं भी नागराज की उस कॉमिक्स के लिए लालायित था क्योंकि मेरी कहानी पूरी नहीं हुई थी और यह सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि अब नागराज का क्या होगा या नागराज अब क्या करेगा??

शाम को अनिल फिर घर मैंने उसके सामने यह बात रखी कि तू ने मुझे कैसी कॉमिक्स दे दी नागराज का सेकंड पार्ट तो तूने दिया ही नहीं तो उसने मुझे बताया कि यह कॉमिक्स उसके घर में रखी हुई है ,अब मैं और मेरा भाई पंकज अनिल के सिर हो गऐ की नागराज की कब्र कॉमिक्स लेकर आ वह फिर घर गया और कॉमिक्स लेकर आया तब जाकर हमारी आत्मा तृप्त हुई 

फिर मेरे बड़े भाई संजय ने शाम के समय यह तीनों कॉमिक्स जो महान लेखक परशुराम शर्मा जी द्वारा रचित थी [[उस समय हम ना तो कॉमिक्स के लेखक हो के बारे में पढ़ते थे और ना आर्टिस्ट के बारे में और ना यह कॉमिक किसने संपादित की है उसके बारे में पढ़ते थे कॉमिक्स उठाते ही सीधा पढ़ना शुरू कर देते थे]] #नागराज_नागराज_की_कब्र_नागराज_का_बदला कॉमिक्स पढ़कर सुनाई फिर उसके बाद हम चारों भाई जो नागराज के जबरदस्त फैन हुए उसका कहना ही क्या 

कहानी जारी है........


क्रमशः


यह कहानी सिर्फ क्लासिकल नागराज के लिए लिखी गई है इसीलिए इस में कोई भी अपने आलतू फालतू नागराज की नाक ना घुसेडे..... और ना ही मेरे इस लेख को कहीं और तोड़ मरोड़ कर पेश करें यह लेख मैंने बड़ी मेहनत से 1 घंटे में लिखा है


#अपना_क्लासिकल_नागराज_VD


हैप्पी बर्थडे नागराज🎉🎊

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