Tuesday, October 5, 2021

क्लासिक नागराज का वो स्वर्णिम दौर-2


देवराज शर्मा जी की कलम से✍️
 1986 का समय था जब शायद मैं कक्षा 2 का छात्र था और गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो गयी थी 

बड़े भाई बहनों की मदद से मैंने अच्छी हिंदी पढ़नी सीख ली थी तो जब ही चार आने या आठ आने मिलते तब कॉमिक्स की दुकान पर जाकर उधर ही बैठ कर किराए पर कॉमिक्स पड़ता था

उन दिनों नागराज के नाम से बिल्कुल अनभिज्ञ था, मुझे सिर्फ मनोज और राज की स्टोरी कॉमिक्स ही पढ़ना पसंद था 

गर्मियों की छुट्टियों के एक दिन बड़े भैया नागराज की कब्र लेकर आये अपने दोस्त से 

उसका कवर देख कर बहुत अच्छा लगा , मैंने भाई से पूछा भाई ये नागराज कौन है ? तो भाई का जबाब था ये पढ़ खुद समझ जाएगा 

38 पेज की वो कॉमिक्स पढ़ने के बाद रोमांच से भर गया मैं, 

मैंने सोचा कि क्या हीरो है जो हर तरह की फाइट जानता है, हाथों से सांप निकलते है, मुह से विषफुंकार, और किसी की आंखों मैं देख ले तो वो उसका गुलाम....

रोमो जैसे फाइटर से टक्कर और अंत मे एक सस्पेंस कि अब क्या होगा ????


उन दिनों छुट्टियों में राज वाले हर 10 दिन में एक नया सेट निकाल देते थे तो जल्द ही नागराज का बदला हाथ लगी 

फिर तो बस मैं और मेरा नागराज यही मेरी दुनिया थी

हांगकांग यात्रा और शांगो बढ़िया लगी, उसके तुरंत बाद आई खूनी खोज जो एक नए चित्रांकन और बहुत कसी हुई पटकथा के साथ थी, यहाँ हमने बिल्कुल नए तरह के नागराज को पढ़ा 

फिर तो खूनी यात्रा, नागराज का इंसाफ, खूनी जंग, प्रलयंकारी नागराज, खूनी कबीला, कोबरा घाटी जैसी महानतम कॉमिक्स पढ़ने का सौभाग्य मिला 

हर एक कॉमिक्स में जैसे परंपरा थी कि नागराज को एक मित्र तो मिलता ही था, इसके कुछ खास मित्रो के नाम है रोमो, तिकाशी, फ्लोरिडा, डॉन, टीना, सुगा, टोनी, सौडांगी, रुएबा खातून (मेरे बचपन का क्रश)☺️☺️☺️