Thursday, February 10, 2022

नागराज और बुगाकू

 

Devraj Sharma जी की कलम से

दोस्तो जब 1992 में नगीना का जाल विशेषांक के पीछे एक विज्ञापन आया था "फिर एक बार नागराज और ध्रुव एक साथ" 

सच कह रहा हु ऐड देख कर ही मैं पागल हो गया था 

ऐड में लिखा था कि इस विशेषांक के साथ ध्रुव का मैगनेट स्टीकर मुफ्त !!!

यार मैं  कंफ्यूज था कॉमिक्स नागराज की और स्टीकर ध्रुव का ? खैर इगनोर किया 

फिर इसके नए ऐड आये वो वही 32 पेज कॉमिक्स के 16 नंबर पन्ने पर जो बीच का पन्ना होता था, अगर उसको खींच कर निकाल लो तो वो एक छोटे पोस्टर से कम नही था, लेकिन उसके पीछे कॉमिक्स स्टोरी होती थी तो चाहकर भी नही निकाल सकते थे.....खैर मैं अपनी कहानी से भटक गया था, अब इन्ही छोटे पोस्टर्स में जगोता, फुकारू, और कांगो को देखा तो एक पल बुगाकु को भूल गया....फिर ध्यान आया कि यहाँ मिस किलर भी है जो अपने पहले विशेषांक का बदला नागराज और ध्रुव से लेने को लालयतित है और दूसरा सम्राट थोडांगा जो अपने ही घर अफ्रीका के जंगलों में नागराज के हाथों खाई शिकस्त और अपने टूटे हुए कवच से क्षुब्ध नागराज को किसी भी कीमत पर खत्म करना चाहता है, और इसके लिए उसने एक सपेरे के द्वारा नाग सम्राट वासुकी का खड़ग नागराज को मारने के लिए हथिया लिया था और मिल गया मिस किलर से और मिस किलर ने बनाया बुगाकु और उसको थमा दिया वासुकी का खड़ग, नागराज का सिर लाने के लिए 

उधर मिस किलर ने ध्रुव के सभी पुराने दुश्मनों की डमी बनाकर उसको खूब परेशान किया 

इधर पंगा दादा के माध्यम से बुगाकु नागराज को बेहोश करके और फिर ध्रुव को भी अपने साथ ले जाकर दोनों को एक साथ कैद कर दिया 

फिर थोडांगा और मिस किलर ने नागराज को बांध कर काँटाली - मानताली को छोड़ दिया जगोता फुकारू और कांगो का मुकाबला करने के लिए 

जब ये तीनो महा मुकाबले के बाद पस्त हो जाते है तब नागराज अपने नागों से आह्वान करता है खुद को खोलने के लिए...फिर जब खुल जाता है तो ध्रुव के साथ मिलकर तीनो शैतानों को अपने अंजाम तक  पहुचाता है 

फिर असली मुकाबला होता है बुगाकु से जो लगभग नागराज को मार ही देता है. लेकिन पाताल लोक के सर्पो की मदद से बुगाकु मारा जाता है और मिस किलर थोडांगा के साथ ट्रांसमिट हो जाती है 

वासुकी को उसका खड़ग नागराज उसको देता है और बदले में वासुकी नागराज को सम्मान में एक प्रतीक चिन्ह देता है...और वही चिन्ह नागराज की आगामी कॉमिक्स में हम सबने देखा ही होगा 

बस यार अब जितना लिखूं उतना बहुत समझना यारो 


आपका दोस्त देवराज शर्मा