Tuesday, August 11, 2020

कॉमिक्स से जुड़ी बचपन की कुछ प्यारी यादें





   

आज नरेंद्र भईया को काफी सालों बाद बाजार में देखा ।

 °एक कटोरा खून° का विज्ञापन जब भी देखता हूँ तो बचपन का एक किस्सा याद आता है । मेरे पड़ोस में एक भईया रहते थे जिनका नाम नरेंद्र था । वही जिनको आज बाजार में देखा , किताबों से कुछ ज्यादा ही लगाव था उनका, कॉमिक्स पढ़ने का तो उन्हें बेहद शौक था   लेकिन थे •कंजूस• पैसे खर्च नहीं करना चाहते थे  °कॉमिक्स° के नाम पर |  बस मेरे द्वारा लायी कॉमिक्स को पढ़कर अपने अंदर के कॉमिक्स प्रेमी को जिंदा रखे हुए थे । वो रोज शाम को पढ़ने के लिए मुझसे कॉमिक्स मांगते । और मैं भी अपने कलेक्शन में से एक या दो कॉमिक्स निकालकर उन्हें पढ़ने को दे देता । वैसे तो प्रताप मुलिक जी द्वारा बनाये गए नागराज के सभी कवर पेज एक से बढ़कर एक है पर °कोबरा घाटी° का कवर मुझे बहुत ज्यादा पसंद है ।  रोज की तरह  शाम को वो मुझसे कॉमिक्स (इस बार °कोबरा घाटी° थी ) ले गए पढ़ने को | कॉमिक्स सुपर मिंट कंडीशन में थी !

और थी भी अपने क्लासिक नागराज की तो 

थी भी कुछ ज्यादा ही दिल के करीब ❤

लेकिन सुबह जब नरेंद्र भईया ने कॉमिक्स वापिस की तो बड़ी तकलीफ हुई । कॉमिक्स का कवर पेज बीच से फट्टा हुआ था । उन्हें कुछ बोल तो नहीं पाया पर मन ही निश्चय किया आगे इन्हें कॉमिक्स नहीं दूंगा पढ़ने को। पर ज्यादा दिन दृढ़ निश्चय नहीं चल पाया ।

कुछ दिनों बाद ही मुझे एक कॉमिक्स मिली(अब याद नहीं कौन सी थी।) जिसके बैक कवर पर °एक कटोरा खून ° का विज्ञापन  था। जिसे पहली बार देखते ही मैं दिन में ही डर गया था । अब जैसे जैसे रात हो रही थी मुझे डर लग रहा था कहीं ये कटोरे वाली चुड़ैल कॉमिक्स से निकल कर बाहर ना आ जाये । सो मन ही मन एक फैसला लिया  की इसे घर में नहीं रखूंगा

तो अब इस कॉमिक्स का किया जाये । फिर सोचा क्यों न ये कॉमिक्स आज रात के लिये नरेंद्र भईया को दे दूं पढ़ने के लिये

सुबह वापिस लेकर किसी से एक्सचेंज कर लूंगा। बस फिर क्या था मैंने अपने बचपन के दोस्त टोल्लु (मेरा पड़ोसी)को बुलाया और अपनी बला दूसरे के सिर डाल दी(नरेंद्र भईया के सिर😊🙃)उन्हें कॉमिक्स देकर जब मैं और मेरा दोस्त टोल्लु बाहर आया तो लगा कोई जंग जीत ली हो । 


मेरी तरह किसी कॉमिक्स से जुड़ा कोई किस्सा आपकी जिंदगी का या कॉमिक्स से जुड़ी कोई यादें हो तो कृप्या साझा कीजिये🙏😊

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