Wednesday, September 30, 2020

कॉमिक्स से जुड़ा वो प्यारा बचपन




भारतीय कॉमिक्स जगत के सबसे बड़े सुपरहीरो "नागराज" का ये पोस्टर मेरे पिताजी के कमरे में लगा हुआ था ,मुझे याद है बहुत पुराना होने के बाद भी उन्होंने कभी इसे हटाया नही , दिल से जुड़ा है प्रताप सर का बेहतरीन आर्टवर्क , पुराने भारतीय केलंडरो  पे जिस तरह भारतीय  देवताओं  के मोहित करने वाले चेहरे होते थे  कुछ उसी तरह का आकर्षक रूप उन्होने नागराज को दिया, नागराज की कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा हाथ उन्हीं का था । ये मैं ही जानता हूँ की
मेरे पिताजी क्लासिक नागराज के कितने बड़े दीवाने थे और उन्हीं की तरह मैं भी दीवाना हूँ क्लासिक नागराज, प्रताप मुलिक जी ,Sanjay Ashtaputre जी, चंदू जी के नायाब 
चित्रांकन का ।।
मुल्लीक सर का एक और शानदार आर्टवर्क जो इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ।।

Saturday, September 26, 2020

नागराज अपने अपराध उन्मूलन के सफर के दौरान इस बार आ पहुंचा है इटली ।।



 ख़ेल जब शतरंज हो ,और इंसा मोहरों में ढलें , ज़िंदगी के दाँव हों, हों मौत से कम फ़ाँसले,जब बुलाया हो गया मक़्तल में ,धोख़े से बशर जब करे कोशिश कोई कि बाँध दे तेरी नज़र जब दिखाया जाये कुछ,और कुछ हो-हो रहा जब हँसे कोई लिपट के तुझसे..और हो रो रहा जब तेरी परछाँयी बनकर अज़नबी चलने लगे कोई झप्पी,सिल्वियानो भेद में ढलने लगे तब हरेक सिक्के के पहलू देख दोनो ओर से जो सुनाया जा रहा हो सुनना उसको ग़ौर से है बहोत मुमक़िन..हो गहरी,दिख़ती हर बेज़ा सी बात पाँओं के नीचे बिछी हो कोई शतरंजी बिसात पूछ किस घटना का मतलब क्या है खुद से ये सवाल जानो-जिस्मों लक्ष्य के फ़िर 'तीन सिक्के' दे उछाल ।।


Monday, September 7, 2020

 मुझे ठीक से याद नहीं पर ये बात शायद 2012- 2013 की होगी मैं कॉमिक्स की तलाश में अपने दोस्त Nafis Ahmed के साथ पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिये निकला  , स्टेशन के हर बुक स्टाल पे देखा, पर मुझे मुलिक जी वाले नागराज का पुराना कलेक्शन नहीं मिला , बहुत दुख हुआ की जिस मकसद के लिये आया था वो पूरा नहीं हुआ , बहुत ढूंढा पर मुझे मेरे क्लासिक नागराज का कलेक्शन नहीं मिल रहा था। मैं थक हार कर रेलवे स्टेशन की सीढ़ियों पर बैठ गया, मुझे उदास देखकर मेरे दोस्त नफीस अहमद ने "कहा " हमने जो स्टेशन से कॉमिक्स खरीदी है उनमें में एड्रेस देख नागराज नावल्टीज़ है कहाँ वहीँ चलते है, एड्रेस देखने के बाद पता चला हम नागराज नावल्टीज के पास ही है ।फिर क्या था  नागराज का कलेक्शन पूरा करने  मैं नागराज नावल्टीज (दरीबा कलां ) पहुँच गया ।   दरीबा कलां की भीड़ भरी गली में पहुँचते ही मैंने कॉमिक्स निकाल के वहाँ बैठे दो लोगो से पता पूछना चाहा ।

मेरे हाथों में कॉमिक्स देखते ही उन्होंने बिना पूछे मुझे ऊपर जाने का इशारा किया । सीढ़ियों से ऊपर जाते ही मैं अपनी कॉमिक्स की जन्नत में पहुँच चुका था ,नागराज नावल्टीज जिसके बारे में मैंने बचपन में सिर्फ सुना और कॉमिक्स में पढ़ा था मैं वहाँ आ गया था । जहाँ मुझे विश्वास था की मेरा नागराज कलेक्शन पूरा हो जायेगा , बस फिर क्या था मैंने मुलिक जी वाले नागराज की कॉमिक्स के नाम दनादन लेने शुरु कर दिये । और उन्होंने भी जल्दी ही मुझे मेरी लिस्ट की सारी कॉमिक्स निकाल के दे दी ,सिवाय नागराज और कालदूत और बच्चों के दुश्मन के ये दो कॉमिक्स उस वक़्त उनके पास उपलब्ध नहीं थी । फिर मैं कॉमिक्स की गिनती करने लगा ,और जो मैंने देखा वो देख कर मुझे कितना बुरा लगा और कितना गुस्सा आया मैं बता नहीं सकता खूनी खोज, खूनी यात्रा , और प्रलयंकारी मणि का कवर पेज चेंज कर दिया गया था , मैंने तुरंत उसे चेंज करके पुराने कवर वाली कॉमिक्स मांगी । दुकानदार के चहेरे पर अलग सी मुस्कान थी ,जैसे मुझ से पहले भी ये बदले हुए कवर की कॉमिक्स औरों ने वापस की हो ,पर दया थी महादेव की मुझे तीनों कॉमिक्स पुराने कवर पेज के साथ मिल गयी थी....😀 हर हर महादेव....😊😊😊😊😊