Saturday, January 8, 2022

क्लासिक नागराज का अनंत अंतहीन सफर



 सफर अनंत था मेरा" मुश्किल थी सफर की हर डगर


 हर सफर में मिल रहे थे दुश्मन तो दोस्तों की भी कमी न थी, नहीं परवाह थी अंजाम की बुलन्द थे हौसले मेरे  हौसलों में कोई कमी न थी,नहीं सुकून था ज़िंदगी में

जब तक दुनियां में आतंकवाद के बादल छाए थे ,इन्हीं बादलों का वध करने हम इस धरा पर आए थे ।।

याद आता है सफर अपना , मैंने खुद से कहा था ना

है थकना ना ही रुकना ।।

चलता चला जा रहा था मैं पकड़े इस अनंत सफर की डोर नहीं नज़र आ रहा था इस सफर का कोई अंत न कोई छोर ।।


 नागराज और थोडांगा कॉमिक्स ये दृश्य भावुक कर गया था ।

कॉमिक्स खत्म होने पर भी काली के जाने का दुख  😓



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