Tuesday, April 4, 2023

काश हम प्रोफेसर नागमणि होते❤️

Joginder Sharma जी की कलम से---------------- आज एक पोस्ट देखी और पढ़ी फिर अपन निकल लिए उस समयकाल में, जब कॉमिक्स पढ़ते नहीं थे बल्कि जीते थे, खासकर अपने #नागराज की उन कॉमिक्स के हर एक पैनल का हिस्सा मानते थे खुद को। क्या दिन थे, कई बार तो सोचते थे कि काश हम प्रोफेसर नागमणि ही होते तो #नागराज से इस दुनिया मे सबसे पहले मिलने वाले व्यक्ति होते हम और मिलने वाले क्या, #नागराज को बनाने वाले होते और अपने #नागराज के साथ अपना नाम हमेशा हमेशा के लिए जुड़ा रहता कोई #नागराज की जन्मगाथा को चाहे कितनी बार ही रिबूट, यही कहते हैं ना ये आजकल के जवान बच्चे, कर ले अपने लिए तो #नागराज का ओरिजिनल ओरिजिन वही पुराने वाला ही है। असली मजा भी उसी वक़्त आता था, कॉमिक पढ़ने का क्योंकि उस वक़्त ये लॉजिक बाजी का ज्ञान पेलने वाले ज्ञानी, ये उन कलाकारों की आर्ट को तुच्छ मानने वाले प्राणी नहीं थे अपने आसपास, तो जो भी कॉमिक पढ़ी जाती, दिल से ही पढ़ी जाती कभी दिमाग लगाने की ना तो जरूरत पड़ी और ना ही हमने दिमाग लगाया क्योंकि एक बात तो हमे शुरू में ही समझ आ गयी थी कि जहां आपका दिल लगा हो, वहां आप दिमाग ना लगाएं तो ही बेहतर है, फिर चाहे वो कॉमिक पढ़ने की बात हो या फिर कोई आपसी रिश्ता निभाने की बात और कॉमिक तो अपनी पहली जानेमन थी, जिसके साथ हमने दिल लगाया था, दिमाग नहीं। तो इसीलिए मैं ऐसे किसी ज्ञानचंद की पोस्ट पर कमेंट ही नहीं करता। अब जो बकलोल मनोरंजन में भी लॉजिक ढूंढते हैं, वो कभी उसका असली मजा ले ही नहीं पाते क्योंकि मनोरंजन होता है दिल से, दिमाग से तो दुनियादारी ही होती है और दुनियादारी में मजा नहीं होता क्योंकि Life fucks all 😀😀😀😀🙏🏻

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