Monday, November 27, 2023

रेलवे स्टेशन से शुरू हुआ कॉमिक्स के प्रति प्रेम का सफर

Johny Routray जी की कलम से---------- यूं ही निकले कॉमिक्स कलेक्ट करने की राह पर दोस्त और कॉमिक्स जुड़ गए और कारवां चलता गया। ये बात तब की है जब मैं क्लास 3 में पढ़ता था। मैं मम्मी पापा के साथ गांव जा रहा था। एक स्टेशन पे ट्रेन रुकी और पापा लंच लेने ट्रेन से उतरे, और जब वापस आये उसके हाथ में दो किताबें थी जिस पे चाचा चौधरी का चित्र था, मैं झट से उन दोनो किताबों की तरफ लपका। मैंने उन किताबों को देखा तो पता चला ये कॉमिक्स है जिसका ज़िक्र मेरे दोस्त अक्सर किया करते थे। एक कॉमिक्स थी चाचा चौधरी और राका का बदला और दूसरी नागराज का विशेषांक। चाचा चौधरी तो हम सभी में चर्चित थे लेकिन नागराज मेरे लिए नया था, एक नए सुपरहीरो ने मुझे आकर्षित किया। फिर मैंने उस कॉमिक्स को पढ़ना शुरू किया मुझे, वो कॉमिक्स इतनी अच्छी लगी कि मैंने अपने पापा से कॉमिक्स लेन की जिद की, प्रलय, संग्राम, परकाले और बहुत कुछ। फिर कुछ सालों में कॉमिक्स से दूर हो गया पढाई के चलते। 5 साल बाद एक दिन रेलवे स्टेशन पर मुझे जहरीला बारूद एक किताब की दुकान पर दिखी जिसका ललित शर्मा सर जी नागराज का शानदार आर्टवर्क था, जिसे देख कर मेरी पुरानी यादें ताज़ा होंगी। मैंने उस दिन जहरीला बारूद, नागराज अंडर अरेस्ट, चेहरा और राज नगर की तबाही खरीदी। और इसी तरह ये कारवां चलता रहा। नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की यारी से लेकर डोगा के जुनून तक साथ ही परमाणु की आशिकी भी। इस ग्रुप में आने के बाद मुझे कॉमिक्स से और भी लगाव हो गया। मैंने पीछे कई वर्षों में जो गलती की जैसी कॉमिक्स खो दी या किसी को उपहार स्वरूप देना जिसका कारण आज मेरा संग्रह छोटा पड़ गया। मैंने ऑनलाइन स्टोर से कॉमिक्स कलेक्ट की और रेलवे स्टेशन में बुक स्टोर वालों के नाक में दम भी किया।

Friday, November 17, 2023

"नागराज" नाम ही काफी है

Mukesh Gupta जी की कलम से---------- Nagraj को सुपरहीरोज के क्षेत्र में अव्वल बनाने में उसकी कॉमिक्स की कहानियों से ज्यादा उसके कैरेक्टर डिजाइन (चरित्र निर्माण) को जाता है, लोग नागराज की कॉमिक्स उसकी स्टोरी के लिए नहीं लेते थे बल्कि खुद नागराज के लिए लेते थे। ऐसा और किसी किरदार के साथ नही हुआ था। नागराज की कॉमिक्स में जब ऐसी पंच लाइनें मिलती थी "नागराज से पहले उसके सांप आते हैं", "आप क्या पियेंगे??......दूध!", "मैंने तुम्हारे शरीर से सांप निकलते देखे थे......तुमने ख्वाब देखा होगा।", "नागराज कभी हथियारों से नहीं लड़ता, नागराज खुद एक हथियार है", "मुझे चैलेंज की लड़ाई लड़ना पसंद है", "टेन टेन टेनेन"। ये सब नागराज की टैग लाइन बन गई थी। ये भी शायद ही किसी और किरदार को मिला था सिवाय चाचा चौधरी के "चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है" और साबू के "जब साबू को गुस्सा आता है तो कहीं ज्वालामुखी फटता है" को छोड़कर।

नागराज के दुश्मन साधारण होते हुए भी असाधारण थे

Vikas Das जी की कलम से.........तब नागराज साधारण था दुश्मन भी साधारण थे लेकिन उनकी योग्यताएं असाधारण थी। वे बेरहम थे, जिन्हें नागराज ढूंढता हुआ उनके घर में जाकर मारता था। और ऐसे ही शातिर लुटेरों की जमात आज भी उस नागराज का इंतजार कर रही है, और नागराज भी इन से बदला लेने को तड़प रहा है। एक दौर वो था जिस नागराज का नाम सुनकर आतंकी और अपराधी उस जगह को छोड़ देते थे, आज एक नागराज ऐसा है जो एक महानगर में रहता है और अपराधी भी जानते हैं कि वह अब महानगर का निवासी हो चुका है। फिर भी अपराधी अपनी मां बहन करवाने उसी महानगर में जाते हैं। कभी सर्प मानव की शक्ल में कभी डायनासोर ,कभी यंत्रमानव की शक्ल में और कभी-कभी तो घोड़ा लहसुन की शक्ल में भी,