Sunday, December 3, 2023
उस दशक में कंप्यूटर नाम बच्चों ने चाचा चौधरी की कॉमिक्स में सुना था
Rohit sharma jee की कलम से --------Comics peeking into future
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1980s वो दशक था जब भारत में कंप्यूटर का नाम बच्चों ने सिर्फ चाचा चौधरी की कॉमिक की में सुना था या कुछ अंग्रेजी साइंस फिक्शन पढ़ने वाले बच्चों ने issac asimov आदि को पढ़ा हो .लेकिन ज्यादातर उस समय की हिंदी कॉमिक में टेक्नोलॉजी की बात न के बराबर थी लेकिन फिर अश्विनी आशु की कॉमिक जगत में एंट्री हुई और फिर उन्होंने जो सोचा वो अब जा कर हकीकत बना
इंसान के जैसे दिखने वाले रोबोट आज तैयार है लेकिन 1983 में ऐसे रोबोट की कहानी जो इंसानी रूप ले चुका हो या फिर सीसीटीवी कैमरा जो आज घर घर में है उसका उपयोग या एक ऐसी ÀI वाली मशीन जिसमे ब्रह्माण्ड के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों का दिमाग हो ऐसी कल्पना तो अश्वनी आशू ही कर सकते थे
आज भी हम इंसानी दिमाग को पढ़ नहीं पाए और अश्वनी आशु ने डार्कलैंड के शैतान में रिमोट लोकेशन से इंसानी दिमाग कर काबू पाने की कल्पना कर डाली थी
डायमंड कॉमिक्स ने साइंस फिक्शन को लंबू मोटू और फौलादी सिंह के जरिए जिस तरह बच्चों तक पहुंचाया उसका कोई सानी नहीं
ये जो हैलोग्राफ तकनीक आज हम इस्तमाल करते है उसका बारे में मनोज के राम रहीम में 1982 के आस पास छपी कॉमिक में जानकारी दे दी गई थी इस सब से पहले जगदीश भारती जी ने ह्यूमन क्लोनिंग को ले कर 1978 में एक कॉमिक स्ट्रिप बना दी थी आप लोगों को पसंदीदा साइंस फिक्शन कॉमिक कौन सी है कमेंट में बताए Images courtesy Hemendra Singh
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