Saturday, September 26, 2020
नागराज अपने अपराध उन्मूलन के सफर के दौरान इस बार आ पहुंचा है इटली ।।
ख़ेल जब शतरंज हो ,और इंसा मोहरों में ढलें , ज़िंदगी के दाँव हों, हों मौत से कम फ़ाँसले,जब बुलाया हो गया मक़्तल में ,धोख़े से बशर जब करे कोशिश कोई कि बाँध दे तेरी नज़र जब दिखाया जाये कुछ,और कुछ हो-हो रहा जब हँसे कोई लिपट के तुझसे..और हो रो रहा जब तेरी परछाँयी बनकर अज़नबी चलने लगे कोई झप्पी,सिल्वियानो भेद में ढलने लगे तब हरेक सिक्के के पहलू देख दोनो ओर से जो सुनाया जा रहा हो सुनना उसको ग़ौर से है बहोत मुमक़िन..हो गहरी,दिख़ती हर बेज़ा सी बात पाँओं के नीचे बिछी हो कोई शतरंजी बिसात पूछ किस घटना का मतलब क्या है खुद से ये सवाल जानो-जिस्मों लक्ष्य के फ़िर 'तीन सिक्के' दे उछाल ।।
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ये मेरे कुछ सबसे पसंदीदा चरित्रों में से है, कहानी बेमिसाल है और डायलॉग्स तो जबरदस्त हैं।
ReplyDeleteक्योंकि ये आतंकहर्ता एक बड़ी सीरीज है इसलिए कभी भी बोरियत नहीं हुई, कई बार पढ़ा हमेशा कुछ नया नजर आया।
शानदार सीरीज👌👌👌