Thursday, February 25, 2021

नागराज और शांगो



Vikas D जी की कलम से ✍ - 
मैं तो नागराज और शांगो के लिए इतना परेशान हुआ पूछो मत नागराज की शुरुआती कई कॉमिक्स पढ़ने के बाद काफी समय बाद जाकर मिली मेरा एक दोस्त था राजस्थान का ललित उसने मुझे दी थी दो कॉमिक्स के बदले में....... फिर तौसी और अप्सरा की आत्मा के लिए तो पूछो मत सैनिक पुस्तक भंडार के कितने चक्कर लगाए जो वहा नहीं मिली उससे थोड़ी दूर पर एक और दुकान थी अंडे वाले की वह भी कॉमिक्स बेचता था फिर तो मैं उसका परमानेंट कस्टमर बन गया.... लेकीन हरामखोर स्टीकर नही देता था!!!!!




Sunday, February 14, 2021

मेरा प्यारा क्लासिक नागराज जो हमारे हृदय में बसता है❤




                 विकास दास जी की कलम से


आज मुझे नागराज की शुरुआती पांच कॉमिक्स प्राप्त हुई वैसे तो मेरे पास नागराज का लगभग पूरा कलेक्शन है परंतु यह कॉमिक्स अत्यंत दुर्लभ थी और ढूंढने से भी नहीं मिल रही थी कई मित्रों के पास थी जिन्होंने मुझे आश्वासन भी दिया था कि वह मुझे दे देंगे लेकिन वह अपनी बातों पर खरे नहीं उतरे और मुझे यह कॉमिक्स नहीं मिली 

कॉमिक्स के साथ नागराज का स्टीकर्स बेमिसाल है और सबसे बड़ी खास बात सभी स्टीकर्स क्लासिकल नागराज के है जो कि हमारे हृदय में बसता है......

कुल मिलाकर कॉमिक्स बहुत ही शानदार है बस अगर नॉर्मल पेपर में छपती तो और ज्यादा बेहतर होता लेकिन कोई नहीं मार्केट में ब्लैक मार्केटिंग से लोग पुरानी  कॉमिक्स के नाम पर अंधाधुंध पैसा मांग रही थे कम से कम उनके इस घटिया आचरण पर लगाम तो कसी की जा चुकी है 

कॉमिक्स और बेहद ही शानदार है और इसको कॉमिक्स के साथ जो सबसे अच्छा गिफ्ट मेरे पास आया वह जिस पैकिंग में आया था वह पान्नी मुझे बेहद पसंद है अब इसे कॉमिक्स पढ़ते हुए एक-एक करके पटपट कर के फोडूंगा🤣😂 पन्नी से खोलते हुए इस कॉमिक्स को देखकर मेरे तीनों कुत्ते टिल्लू पाचू और ब्लैक तुरंत कॉमिक्स पर चढ़कर बैठ गए शायद वह भी इन कॉमिक्स को पढ़ना चाहते हैं.......

बाकी संजय गुप्ता जी को हृदय से आभार जिन्होंने बड़ी मेहनत और शिद्दत से अपने काम को अंजाम दिया और उन्होंने पुराने पाठकों की दिल की बात सुनी जो उन्होंने मार्केट से लगभग गायब हो चुकी कॉमिक्स को पुनः प्रकाशित किया आशा करता हूँ वो भविष्य में इसी तरह निरंतर पुरानी क्लासिक चित्रकथाओं को रीप्रिंट करते रहेंगे धन्यवाद जय हिंद जय भारत ।।




Sunday, February 7, 2021

एक दौर ऐसा था जब कॉमिक्स का आकर्षण ही अलग था ।

 


            Jai Kishor Rankawat जी की कलम

पहले कॉमिक्स टाइटल बड़े रोमांचक होते थे...

जिन्हें देखकर ही कॉमिक पढ़ने का मन होने लगता था..


मेरे कुछ फेवरेट टाइटल..


नागराज और काबुकी का खजाना

नागराज और शंकर शहंशाह

नागराज और कोबरा घाटी

नागराज और जादूगर शाकुरा

नागराज और बेम बेम बिगेलो

नागराज और बकोरा का जादू

नागराज और जादू का शहंशाह


और भी कई धांसू टाइटल रखे जाते थे।


लेकिन धीरे धीरे टाइटल बदलने लगे...


अब टाइटल कुछ आधुनिक और क्लिष्ट होने लगे..


स्नेक पार्क, सम्मोहन, विष अमृत, केंचुली, कोहराम, विध्वंस, परकाले आदि।


 आप फर्क देख सकते हैं।


ऐसा ही ध्रुव की कॉमिक्स के साथ भी हुआ..


जैसे - 

रोमन हत्यारा, आवाज की तबाही, चुम्ब का चक्रव्यूह, खूनी खिलौने, वू डू, रूहों का शिकंजा, मौत का ओलम्पिक, किरिगी का कहर आदि क्लासिक टाइटल थे।


अब ध्रुव के टाइटल...

ध्रुविष्य, डिजिटल, फरिश्ता, रोबिन हुड, सुपरमैन जैसे होने लगे।

 

ये मेरे विचार है।

हो सकता है कोई मित्र इस से सहमत न हो पर मुझे ऐसा लगा... इसलिए शेयर किया। 🙏

बांकेलाल और तालाब के चोर

नागराज और अजगर का तूफान

बकोरा का जादू

नागराज और थोडांगा

नागराज और काबूकी का खजाना

खूनी कबीला

आखिरी दांव

आदमखोरों का स्वर्ग

प्रतिशोध की ज्वाला

चैम्पियन किलर

मुझे मौत चाहिए

वू- डू

बहरी मौत