Vikas D जी की कलम से ✍ -
मैं तो नागराज और शांगो के लिए इतना परेशान हुआ पूछो मत नागराज की शुरुआती कई कॉमिक्स पढ़ने के बाद काफी समय बाद जाकर मिली मेरा एक दोस्त था राजस्थान का ललित उसने मुझे दी थी दो कॉमिक्स के बदले में....... फिर तौसी और अप्सरा की आत्मा के लिए तो पूछो मत सैनिक पुस्तक भंडार के कितने चक्कर लगाए जो वहा नहीं मिली उससे थोड़ी दूर पर एक और दुकान थी अंडे वाले की वह भी कॉमिक्स बेचता था फिर तो मैं उसका परमानेंट कस्टमर बन गया.... लेकीन हरामखोर स्टीकर नही देता था!!!!!
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