Thursday, September 15, 2022

1991 की गर्मियों की वो खूबसूरत सुबह ।।


विकास दास जी की कलम से

1991 की गर्मियों की खूबसूरत सुबह मुझे आज भी ऐसे याद है जैसे ये कल की बात हो। उस दौर में बिजली की ऐसी सुविधा नहीं थी जैसा कि आज है।
गर्मियों के मौसम के चलते पिताजी अक्सर चारपाई बाहर लगाया करते थे क्योंकि लाइट की बेहद गंभीर समस्या थी ।
और अक्सर मच्छर से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग किया जाता था। एक रोज हमारे बड़े भाई जो कॉमिक्स और नॉवेल पढ़ने के बहुत बड़े शौकीन थे अक्सर रात को काम के चलते लेट आया करते थे।
एक रोज सुबह नींद से आंख खुलते ही मुझे अपनी मच्छरदानी पर कुछ कॉमिक्स पड़ी दिखाई दी जो बड़े भाई जी ने छत से मच्छरदानी के ऊपर फेंक दी थी...
मुझे आसाम से आए हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे इसीलिए उस वक्त मेरी हिंदी इतनी अच्छी नहीं थी इसलिए मेरे से बड़े भाई पंकज जो यदा-कदा कॉमिक्स पढ़ लिया करता था ने वह  कॉमिक्स मुझे दिखाई और उस कॉमिक्स की चित्रकारी को देखकर मेरा मन कितना प्रफुल्लित हुआ की उसके जैसी खुशी मुझे आज तक नहीं हुई।
वह मेरी जीवन की सबसे पहले कॉमिक्स थी। जिसे मैं पढ़ तो नहीं सकता था लेकिन मेरे बड़े भाई पंकज ने उसे मुझे पढ़ कर सुनाया। इसीलिए वह कॉमिक्स ही मेरी जीवन की सबसे पहली कॉमिक्स थी जिसे मैंने ना पढ़ कर भी पढ़ा और उसका खूब आनंद लिया।
और वह कॉमिक्स थी #बांकेलाल_और_मुर्दा_शैतान ।
इस कॉमिक्स के बाद तो मुझे अक्सर अपने बड़े भाई का इंतजार रहता था कि वह कॉमिक्स लाए और मेरा बड़ा भाई मुझे पढ़कर सुनाएं धीरे-धीरे मैं खुद कॉमिक्स पढ़ने लगा।
क्योंकि राज कॉमिक्स का प्रकाशन काफी समय पहले से हो रहा था लेकिन 1991 तक मेरी उम्र मात्र 9 वर्ष थी इसीलिए बाजार जाकर कॉमिक्स लाना संभव नहीं था अतः मुझे अपने बड़े भाइयों पर ही आश्रित रहना पड़ता था।
लेकिन एक सुपर हीरो की तलाश मुझे अभी भी थी , इसी तरह एक रोज #नागराज_की_कब्र कॉमिक्स मेरे हाथों में आई और उस सुपर हीरो की तलाश खत्म हुई।
नागराज मेरा शुरू से ही पसंदीदा कॉमिक्स सितारा रहा जिसका शुरुआती आर्टवर्क्स पंकज जगदीश जी द्वारा तैयार किया गया था और कॉमिक्स के अंदर के पन्ने श्री संजय अष्टपुत्रे जी द्वारा बनाए गए थे।
लेकिन नागराज का असली मजा तो तब शुरू हुआ जब श्री प्रताप मुलिक जी ने नागराज को अपनी पेंसिल से उकेरना शुरू किया, ऐसा मनमोहक नागराज जिसे देखते ही मन प्रफुल्लित हो जाया करता था उसकी कल्पना कोई और नहीं कर सकता ,जिसे मैंने जिया है ,जिसे मैंने स्वयं अनुभव किया है।
प्रताप जी के कवर आर्ट से सजी एक से एक जबरदस्त कॉमिक्स आती रही प्रताप जी का जलवा ऐसा रहा कि सुपर कमांडो ध्रुव ,परमाणु ,अश्वराज, थ्रिल हॉरर सस्पेंस सीरीज के कवर आर्ट की कॉमिक्स उनके द्वारा रची जाने लगी।
बच्चों के दुश्मन, ताजमहल की चोरी ,जादूगर शाकुरा, कोबरा घाटी, लाल मौत और ना जाने नागराज के कितने ही कॉमिक्स कवर उनके द्वारा रचे गए।
इसलिए राज कॉमिक्स के चित्रकारी के पितामह अगर प्रताप जी को कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।....

क्रमशः
लेखक :विकास दास
यह मेरा प्रताप जी को लेकर निजी ओपिनियन है अगर कोई किसी का कोई अपना पसंदीदा कलाकार है उसका इस लेख से कोई लेना देना नहीं है वह अपनी राय स्वयं रख सकता है।






 



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