Saturday, March 18, 2023
खूनी खिलौने
Devraj Sharma जी की कलम से ✍
1992 की एक घटना है जब मैंने खूनी खिलोने के लिए 15 रुपये जमा किये थे लेकिन उस बीच आ गयी राज कॉमिक्स डाइजेस्ट ठग उस्ताद ठेंगा प्रसाद और गुरु घंटाल गंगाराम मैंने दिनों डाइजेस्ट एक एक रुपये मे जिस दिन किराए पर पढ़ी उसी दिन आ गयी खूनी खिलोने अब मेरे पास बचे 13 रुपये
जहा मैं कॉमिक्स किराए पर पढ़ता था वो एक पान और वीडियो गेम की दुकान थी सेक्टर 35 B चंडीगढ़ में उस दुकान के बेसमेंट मे हम वीडियो गेम भी खेलते थे और कॉमिक्स भी किराए पर पढ़ते थे
ठग उस्ताद और गुरुघंटाल किराए पर पढ़ने के बाद जब मैं बेसमेंट से ऊपर आया तो खूनी खिलोने का सेट आ गया था
मेरे मन मे एक चोरी की स्कीम आयी थोड़ा घूम कर बापस आया और खूनी खिलोने किराए पे लेकर बेसमेंट मे चला गया और वो दिन छुट्टियों के थे तो उसके पास बहुत ग्राहक थे तो मैंने खूनी खिलोने पढ़ने के बाद अपने हाफ पैंट और शर्ट के बीच कॉमिक्स छुपा ली
इतनी भीड़ मे शॉपकीपर अंकल ने मुझे वीडियो गेम वाला कस्टमर समझ लिया फिर उनका शक दूर करने के लिए मैंने उनसे 12 रुपये की ठग उस्ताद ठेंगा प्रसाद खरीद ली और फ्री में खूनी खिलोने मिल गयी और तो और 15 रुपये से जो एक रुपया बचा था उस से मैंने खूनी खिलोने वाला कमांडो फ़ोर्स का स्टीकर भी उनसे खरीद लिया
मतलब 15 रुपये में मैंने एक विषेषांक स्टीकर के साथ और एक डाइजेस्ट भी ले ली
लेकिन 3 महीने बाद मुझे बड़ा गिल्टी फील हुआ कि मैंने चोरी की है तो ये बात मैंने अपने बड़े भैया को बताई तो वो खुद मुझे उस दुकान पर ले गए और मैंने अंकल को पैसे दिए जो मेरे बड़े भैया ने दिए थे और मैंने उनके सामने अपनी चोरी कबूल कर ली तो उन्हीने मुझे बहुत लाड किया और अपनी तरफ से 4 कॉमिक्स मुझे फ्री मे गिफ्ट करी
और सबसे मजे की बात 2014 में मेरी वर्किंग कंपनी ने मेरा टूर चंडीगढ़ लगाया और मैं फुरसत निकाल कर उन्ही अंकल की दुकान गया जहाँ पर अब न तो कोई वीडियो गेम था और न ही कोइ कॉमिक्स
मैंने उनको याद दिलाया तो उन्होंने मुझे पहचान तो लिया, लेकिन वो बोले बेटा आज आपको देने के लिए मेरे पास एक भी कॉमिक्स नही है
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