Monday, March 20, 2023

मेरी कॉमिक्स पढ़ने की शुरुआत DC कॉमिक्स से हुई

Rajesh Jasiwal जी की कलम से------------- मेरी शुरूवात कॉमिक्स पढ़ने की DC कॉमिक्स से हुई थी।सुपरमैन की कॉमिक्स थी अंग्रेज़ी में।क्या ग़जब आर्टवर्क था।कसम से ऐसा आर्टवर्क को तो अभी भी तरस जाएंगे पाठक।कई बार पढ़ी वो कॉमिक्स थी तो एक ही मेरे पास वो भी फुटपाथ से ली थी पर एकदम ब्रांड न्यू।तभी कुछ 3री या चौथी कक्षा में होऊंगा.... हा याद आया दूसरी में था पक्का।सुपरमैन की स्टिकर्स,स्ट्रिप्स सब मिलते थे छोटे दुकानों पर।मेरे पड़ोस में रहने वाले आये दिन कॉमिक्स पढ़ते थे।मैं सिर्फ बाहर खड़े होकर उसके चित्र देखके आनंद लेता था।मुझे भी लगता था काश!...मैं भी ये अपने घर मे बैठके पढ़ पाता।छुट्टी हुई स्कूल की गर्मियों में शायद 3री से पास होकर चौथी में गया था।पता नही कैसे मुझे 10 रुपये घरवालों से मिल गए थे।मैं ने सोचा क्यो न मै कॉमिक्स लाइब्रेरी जॉइन कर लूं।पड़ोस के लड़के से दोस्ती की और उसे बताया कि मुझे कॉमिक्स लायब्ररी जॉइन करनी है।बस वह मुझे वहां लेके गया।क्या अनुभव था वाह अलग ही दुनिया थी।पूरा रूम में एक अच्छी सुगंध आ रही थी।घर मे एक कोने में सभी कॉमिक्स रखी हुई थी।मैं ने तुरंत पैसे निकाले और पूरे एक महीने के लिए जॉइन कर लिया।मेरी पहली नज़र नूतन कॉमिक्स पे पढ़ी थी----लाल बुझक्कड़।मैंने पहले वही ली।पढ़ी बहुत अच्छी लगी।फिर बेजान शहर की रानी पढ़ी वो भी बहुत अच्छी लगी।फिर भूतनाथ पढ़ी।फिर नानी पढ़ी वो वही अच्छी लगी।एक भी नूतन कॉमिक्स नही थी कि जो मुझे अच्छी नही लगी।भूचाल भी पढ़ी वो भी अच्छी लगी।कोई ऐसी पवन कॉमिक्स नही थी कि मैंने बोला हो कि बक़वास हैं।मनोज,डायमंड,इंद्रजाल आदि कॉमिक्स थे।पर शुरुआत में नूतन कॉमिक्स ही पढ़ी।मेघदूत भी अच्छी थी नूतन कॉमिक्स की।पवन औऱ नूतन कॉमिक्स का आर्टवर्क औसत होता था पर इसकी कहानी बेजोड़ होती थी।कब पढ़ लिया कब खत्म किया पता ही नही चलता था।प्राचीन कहानी से लेकर सुपरहीरोज की कहानियाँ दमदार होति थी।पवन और नूतन कॉमिक्स की लोकप्रियता बहुत थी उस समय दूसरे कॉमिक्स के मुकाबले।उसका कवर का आर्टवर्क भी एक प्रकार से आकर्षित करता था औसत होकर भी।----मतलब ये लेखक और आर्टिस्ट दोनो का योगदान कॉमिक्स की ओर ज्यादा होता था।जरा सोचिए कि पवन और नूतन कॉमिक्स का क्या क्रेज था उस समय सबकों टक्कर देते हुए बाज़ार में पाठकों को खींच लेती थी।किरदार लाल बुझक्कड़ तो काफी प्रसिद्ध था पाठकों में।उसकि कहानियों का लोग आड़े हाथों ले ले थे।रेगुलर और बिग साइज में उपलब्ध होती थी पवन और नूतन कॉमिक्स----जिसे पवन और नूतन चित्रकथा भी कहते थे।ऐसे क्षण,वो आनंद का दौर,वो रोमांच भूलना असंभव हैं।

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