Thursday, April 27, 2023
यथार्थ नागराज
डॉ.विनोद मेहरड़ा जी की कलम से-------------
असली नागराज वर्सेज नकली नागराज
मेरी नज़र में...नागराज...दुनिया का सबसे जहरीला इंसान,विषफुंकार,नाग,नागरस्सी छोड़ने वाला, समाज के अदने से गुंडे से लेकर डॉन तक भिड़ने वाला,एक इच्छाधारी नाग जो कोई भी रूप धारण कर सकता है,वह पूर्णतः मानवतावादी औऱ हरदिल अज़ीज़ है,भगवान शिव का भक्त ,बाबा गोरखनाथ का शिष्य..आतंकवाद का प्रबल विरोधी औऱ एक महान यायावर है....
...वह हवा में उड़ने वाला,अजीबोगरीब प्राणियों से भिड़ने वाला,डरपोक,कायर ,महा भयंकरकारी रूप वाला,देव कालजयी नाम के कल्पित देव का उपासक कतई नही है..
नागराज का सृजन जिस उद्देश्य को लेकर किया गया कि वह एक ऐसा पात्र हो जो अति मानवीय न होकर बेहद ही सहज आम इंसान की भांति हो, परा मानवीय बिल्कुल भी न हो। उससे लड़ने वाले उसके शत्रु या मानवता के शत्रु उससे भी प्रबल हो,शत्रुओं से विजय पाते समय जिस प्रकार से आम आदमी संघर्ष करके परिस्थितियों पर विजय पता है नागराज को भी बिलकुल उसी तरह का दिखाया जाए...और नागराज के शुरुआती अंको में यह किया भी गया।
नागराज का प्रबल शत्रु नागदंत जब इंट्रोड्यूस किया गया तब हम जैसे पाठकों का रोमांच अपनी उम्र के चरम शिखर पर पहुंच गया...ऐसा तो बाहुबली गाथा में भी न हुआ होगा।
जब नागदंत से नागराज की भिड़ंत हुई तो उसके रोमांच का अंदाजा नही लगाया जा सकता।
बाद में नकली महानगरीय नागराज ने सारे रोमांच को काफूर कर दिया।
जहां महानगरीय नागराज देव कालजयी के कल्पित दैवीय जाल में जा फसा वहीं नागदंत को किसी अनुपमि नाग ने ऐसा डसा की बेचारा विष (पानी)भी न मांग सका।
कैसी अजीब त्रुटि है कि नागराज तो देव कालजयी को धोक देवे और नागदंत की जुबां पे उस कल्पित कालजयी का अब तक नाम नही।
बेहतर होता की देव कालजयी की जगह नागराज को शिव भक्त शुरुआती रूप से दर्शा दिया जाता।बाबा गोरखनाथ शिव अंश की आंशिक पूर्ति करते नजर आते है। नागदंत को और ज्यादा प्रबलता प्रदान करने के लिए उसे भी शिव के किसी रौद्र रूप का भक्त दिखलाते...बेचारा नागदंत...उसकी तो उत्पति (origin) भी अब तक ढंग से न लिखी गई।
वर्ल्ड टेरेरिज्म सीरीज से क्लासिक नागराज की यात्राओं वाला कॉन्सेप्ट लेकर फिर से शुरुआत की गई पर प्रताप मुलिक,चंदू जी आर्ट वाली वैसी सफलता न मिली..जो समय व कलाकारों का कालजयी समागम एक बार टूट जाए तो फिर युग के युग बीत जाते है पर वैसा समागम नही हो पाता।
आज तो नागराज के इतने वर्जन हो चुके है की पाठक तो बेचारा पूरी तरह असमंजस के मायाजाल में फंस चुका...अब तो केवल उस पुराने नागराज की सफलता को ही भुनाया जा रहा है...वैसा नागराज अर्थात असली नागराज तो कब का जा चुका...वह तो जिंदा है तो केवल पुराने पाठकों के दिलों में...
इतना ही...
जय बाबा गोरखनाथ🙏
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