Wednesday, April 26, 2023
हास्य सम्राट बांकेलाल
Jai Kishor Rankawat जी की कलम से--------------
राज कॉमिक्स में मुझे नागराज के बाद सबसे रोचक कैरेक्टर अगर कोई लगा है तो वो है बांकेलाल। एक गुदगुदाता चरित्र। जो मन ही मन बड़ा षड्यंत्रकारी है लेकिन छवि किसी हीरो से कम नहीं। 😀
मैनें बांकेलाल की जो पहली कॉमिक पढ़ी वो थी 'तिलिस्मी जाल'। इस कॉमिक के बाद मैं बांके के फैन हो गया। फिर 'परियों की मुसीबत', 'स्वर्ग की मुसीबत', 'आदमखोर अंगुली', 'लाश की तलाश', 'बुलबुला का दैत्य' जैसी कई धांसू कॉमिक्स पढ़ी। सब एक से बढ़कर एक थी। इन कॉमिक्स से मुझे जबरदस्त रोमांच और हास्य दोनों मिलता। सीधा सादा सा प्यारा सा आर्टवर्क। परिस्थिति जन्य हास्य। उस पर प्यारे और हंसोड़ संवाद। सब मिलकर गुदगुदा जाते थे। फिर शुरू हुआ बांकेलाल का कई योनियों को भुगतने का सफर।। इस समय तक बांके की कॉमिक्स अच्छी बनती रही। लेकिन....
धीरे धीरे इनमे भी गिरावट आने लगी। 'ही ही ही' का बेवजह प्रयोग, खिजाने लगा। आर्टवर्क बदलने लगा। कहानियों का स्तर भी गिरने लगा। फूहड़ और बोरिंग से संवाद, जबरदस्ती हंसाने की कोशिश लगने लगी। कुछ कहानियां अच्छी आयी लेकिन वो मजा नहीं रहा।
शायद किसी भी केरेक्टर की एक निश्चित सीमा होती है, उसके बाद पतन शुरू होने लगता है। शायद यही सार्वभौमिक नियम है।
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