Wednesday, April 26, 2023

भारतीय कॉमिक्स जगत का यादगार लम्हा

5 अक्टूबर 1991 ये बहुत यादगार लम्हा रहा होगा जब भारतीय कॉमिक्स जगत के इतिहास में, पाठक अगले सैट में पहली बार दो बड़े सुपरहीरोज के एक साथ आने का बेसब्री से उंगलियों पर दिन गिन गिन कर इंतजार कर रहे होंगे क्योंकि अब..... दोनों को एक साथ देखने की ख्वाइश पूरी होने को थी, क्योंकि एक राजनगर का रक्षक था, तो एक सम्पूर्ण विश्व का रक्षक, एक की आर्मी में रेणु ,पीटर मैसी,और करीम शाह जैसे जाबांज थे , तो दूसरा खुद में वन मैन आर्मी था जो निकला था विश्व आतंकवाद की असंख्य जड़ो को उखाड़ फेंकने के सफर पर ।। एक कानून के दायरों में रहकर इंसाफ करता था, तो दूसरे का इंसाफ करने का अपना एक अलग तरीका था एक ने ली थी क्राइम फाइटिंग के दौरान किसी भी इंसानी जान को न लेने कसम और दूसरा देता आतंवादियों और अपराधियों को एक बेहरहम,बेदर्द मौत । दोनों के काम करने का तरीका अलग था ,पर उद्धेश्य एक ही था अपराध आतंकवाद का सम्पूर्ण खात्मा अपने विश्व अपराध उन्मूलन के सफर के दौरान नागराज *बुलडॉग ,चांगो, सीमैन, विलियम, जैबरा,शंकर शहंशाह, तूफान-जू,अजगर,बेम-बेम बिगलो,यूसुफ बिन अली खान,कोया कोया हितेची* जैसे कुख्यात आतंकवादियों का संहार कर चुका था वहीं दूसरी तरफ अपनी तीक्ष्ण बुद्धि के बल पर सुपर कमांडो ध्रुव *चैंपियन किलर, रोमन हत्यारा, ग्रैंड मास्टर रोबो, समुद्र का शैतान, जुबिस्को,महामानव* जैसे शातिर अपराधियों को धूल चटा चुका था। दो अलग अलग तरीकों से काम करने वाले क्राइम फाइटर अब एक साथ एकजुट होकर एक मिशन को अंजाम देने वाले थे कसम से बेसब्री से इंतज़ार था इस मिशन से जुड़ी घटनाओं से रूबरू होने का 90 के उस दशक में इतिहास रचने वाला था एक बड़ा धमाका होने वाला था । मिस हिरोशिमा उर्फ मिस किलर जापान के अंडर वर्ल्ड में इनकी गुप्त युद्ध विद्याओं ने इन्हें बादशाहत दिला रखी है इनका रुतबा महारानियों वाला है इसलिये इन्हें जापान की सम्राज्ञी भी कहा जाता है जापान में इनकी हुकूमत का सिक्का चलता है असल में नागराज और मिस किलर को आमने सामने देखने की लालसा की एक बड़ी वजह और भी थी "नागराज और ताजमहल की चोरी" जिसमें इनका अधूरा टकराव हुआ था जब नागराज पर मिस किलर पर अपने सांपो से हमला करता है और मिस किलर नागराज का वार नाकाम कर कहती है "रहने दो नागराज तुम्हारा ये दांव मुझ पर नहीं चलेगा" मुकाबला अधूरा था तो उत्सुकता अनिवार्य थी मन में दोनों के बीच होने वाले मुकाबले को लेकर जो अब "नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव" कॉमिक्स में पूरी होने वाली थी, एक और बड़ी वजह या जादू कहिये बकोरा का जादू हो या जादू का शहंशाह, हर जादू की काट मौजद थी, लेकिन प्रताप मुलिक जी की तूलिका का अटूट जादू जिसकी कोई काट नहीं थी, सच बताऊं तो उनके उस दशक में किये जादू से मैं आजतक सम्मोहित हूँ नागराज सीरीज (राज कॉमिक्स की अन्य सीरीज के लिये भी) के लिये एक से बढ़कर एक कवर पेज मानो पुरानी फिल्मों के पोस्टर हो मानो या ना मानो उनके बनाए कवर पृष्ठों में जादू था सम्मोहित कर मजबूर करते थे कॉमिक्स खरीदने को अब बारी थी नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव कॉमिक्स के कवर पेज की यानी के एक और जादू होने वाला था मुलिक साहब की तूलिका से
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