Sunday, April 9, 2023

ये कॉमिक्स मैंने जब खरीदी तब मैं नहीं जानता था ये रिकॉर्ड तोड़ बिक्री करेगी😯

Jai Kishor Rankawat जी की कलम से ✍️------------------ नागराज और बुगाकू ये वो दौर था जब कॉमिक्स का नाम सुनते ही आंखों में एक चमक आ जाती थी। ये वो दौर था जब स्कूल में कॉमिक्स छुपा के लाना ले जाना किसी तस्करी से कम न था। उन दिनों राज कॉमिक्स का जुनून सवार था हम पर। मनोज और तुलसी भी बड़े चाव से पढ़ते थे लेकिन पहली चॉइस राज कॉमिक्स ही रहती थी। राज कॉमिक्स के सितारे हमारे दिलों पर राज करते थे। उनमें सबसे चमकता सितारा था.... *नागराज*! उन दिनों नागराज का नाम सुनते ही अपराधियों से ज्यादा हमारे ज़ेहन में खलबली मच जाती थी। रोमांच अपनी हदें तोड़ देता था। कई कॉमिक्स पढ़ चुके थे अब तक। एक दिन किसी कॉमिक्स के अंदर के कवर पर एक जानदार एड देखा... 'नागराज और ध्रुव फिर से एक साथ' 'पढ़िए नागराज और बुगाकु'! बस फिर क्या था!!! एक एक नस में झुरझुरी दौड़ गयी। दिल कर रहा था कि जल्दी से जल्दी नागराज और बुगाकु पढ़नी है। बेचैनी भरा इंतेज़ार शुरू हुआ। हम बच्चों के बीच अब बस चर्चा का यही विषय बन गया था कि कब आएगी 'नागराज और बुगाकु!' कस्बे में एक इकलौती दुकान ही थी कॉमिक्स की... और हम सर खा चुके थे उस दुकानदार का। हालात ये बने कि हमे देखते ही वो बोल उठता अभी नहीं आयी भाई... आते ही बोल दूंगा। आखिर वो दिन भी आ गया... बेसब्री भरा इंतेज़ार खत्म हो गया।पिताजी से ज़िद की गई। ये किराए पे नहीं... पूरी दिला दो ना। आखिरकार नागराज और बुगाकु मेरे हाथों में थी। खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। एक दम नए कवर और बिल्कुल किताबी खुश्बू के साथ। प्रताप मुलिक जी के आर्टवर्क से सजा वो मनमोहक कवर आज भी अच्छे से रचा बसा है दिमाग में। उस विशेषांक को खोलने से पहले काफी देर तक गौर से निहारा था उस कवर को। फिर कांपते हाथों से खोली वो लाजवाब, रोमांचक चित्रकथा। बहुत ही धीरे धीरे पढ़ रहा था एक एक पन्ने को कि कहीं जल्दी खत्म न हो जाये। थोडांगा और मिसकिलर की जोड़ी छा गयी थी गज़ब का कॉम्बिनेशन जमा था। नागराज द्वारा जलदैत्य का खात्मा होने तक तो थोड़ी सामान्य सी लग रही थी। लेकिन मजा शुरू तब हुआ जब पंगा दादा और बुगाकु कि एंट्री हुई। नागराज द्वारा पंगा दादा का भयानक अंत देखने लायक था। बच्चों के उस दुश्मन का ऐसा ही अंत होना चाहिए था। क्लासिक नागराज का यही रूप सबसे ज्यादा प्रभावी था। कोई बंधन नहीं, कोई कसम की बंदिश नहीं ... फैसला ऑन द स्पॉट।
लेकिन गज़ब का लड़ाका और मार्शल आर्ट का सबसे बड़ा खिलाड़ी साबित हुआ बुगाकु। 'नागराज को मार्शल आर्ट में मात देने वाला निश्चय ही विश्व का सर्वश्रेष्ठ फाइटर है' ऐसा ही कुछ कहा गया था बुगाकु के बारे में। शक्ति खड्ग ने तो उसे अजेय ही बना दिया था। फिर दिखाया गया ध्रुव का शानदार सफर। बड़े ही रोचक अंदाज़ में ध्रुव की सारी कॉमिक्स की यादें ताज़ा करवा दी। मजा आ गया था। सबसे ज़बरदस्त सीन तो क्लाइमेक्स में था। नागराज को बंधा रख कर ध्रुव, और ओसाका काबिले के दो योद्धाओं की टक्कर दिखाई गई फुंकारु, जगोता और कांगो से। सबसे रोमांचक दृश्य था जब कांगो ध्रुव पर हावी होता दिख रहा था और नागराज का क्रोध भड़क रहा था। उत्तेजना के मारे मुंह से फुंकार निकलने लगी थी नागराज के मुंह से। मानो एक ज्वालामुखी को फटने से रोका जा रहा हो। आखिर ज्वालामुखी फट ही पड़ा। नागराज के भरोसेमंद सिपाही नागानंद और नागनाथ ने नागराज को आज़ाद करा ही दिया। स्वतंत्र होते ही नागराज ने जो जोहर दिखाया वाकई जोश से भर उठा था मैं भी। बेहद सनसनीखेज थी वो फाइट। यहां नागराज एक बड़े भाई की भूमिका में दिखाया गया था। मानो उसके रहते ध्रुव पर कोई आंच नहीं आ सकती। और ये देखना बहुत ही अच्छा भी लगा था। नागराज वास्तव में राज कॉमिक्स का लीडिंग सुपर हीरो है और उसे इस तरह ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए था। एकदम परफेक्ट सीन थे इस कॉमिक्स में। कहानी के अंत मे नागराज और बुगाकु की भयानक फाइट और नागराज का पलड़ा हल्का पड़ता देख घबराहट सी हो गयी थी। लेकिन नागराज तो नागराज ही था। एक बार फिर से नागराज ने अपने शत्रु को मौत के मुंह मे भेज दिया था। यहाँ एक और शानदार बात देखने को मिली जो दिल को छू गयी। थोडांगा, जो मेरा फेवरेट विलेन है, ने हार जाने के बावजूद भागने के बजाय नागराज से लड़ने की इच्छा जाहिर की। इस से इन विलेन्स का दमखम साबित होता है। ऐन वक़्त पर मिस किलर थोडांगा को लेकर फरार हो गयी। अब लास्ट पेज का जो सीन था वो सच में लेखक का कहानी के पात्रों और पाठकों से जुड़ाव को साबित करता है....सतरंगा से ध्रुव का परिचय कराते हुए नागराज को दिखाना ... ये एक ऐसा पॉइंट है जिसमें 'नागराज और थोडांगा' कॉमिक्स की कहानी से टच दिखाया गया था। इसके बाद की किसी कॉमिक्स में कभी ऐसा जुड़ाव देखने को नहीं मिला। संजय गुप्ता जी की कलम से निकला ये शाहकार कॉमिक्स जगत का एक अनुपम ग्रंथ है। जब ये कॉमिक्स मैंने खरीदी थी तब नहीं जानता था कि ये रिकॉर्ड तोड़ बिक्री करेगी। ये भी नहीं सोचा था कि ये दिन हमेशा के लिए बीते दिन बन जाएंगे और बस यादें शेष रह जाएंगी। जब कभी उस हसीन बचपन के दौर में लौटने का जी करता है तो कॉमिक्स के पन्ने पलट लेता हूं... और.... जी लेता हूं कुछ देर के लिए फिर से वो लम्हे... जो अनमोल थे। -- जय किशोर रांकावत! (राज कॉमिक्स प्रेमी)

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