Friday, May 5, 2023

90 के दशक में सुपरमैन की लोकप्रियता

Amitesh Pratap Singh जी की कलम से--------- 1992 का साल जब मेरे जैसे बच्चे दूरदर्शन पर सुपरमैन को देखकर अपने गले मे तौलिया बांध कर खुद को सुपरमैन से कम नही समझते थे, हर बच्चा अपने गले मे तौलिया बांध कर सुपरमैन ही बनना चाहता था कोई भी विलेन बनने को तैयार नही होता था, ये हर शाम का एक मनोरंजक खेल होता था। ऐसे में अचानक सुनने को मिलता है कि सुपरमैन की मौत हो गई ये सुनना हर किसी के लिए किसी शॉक से कम नही था, जिसके बारे में हमेशा से सुनते आ रहे थे कि उसपर किसी भी प्रकार के हथियार का कोई असर नही होता वो कैसे मर सकता है। फिर कहीं से पता चला कि सुपरमैन एक पेन से मर गया तब तो ये एक और आश्चर्यजनक बात थी, की कोई पेन से कैसे मर सकता है, वो भी सुपरमैन जैसा शख्स, कुछ दिनों बाद रायपुर से छपने वाले नवभारत (जो की आज भी छपता है) में एक आर्टिकल आया जिसकी हैडिंग और सुपरमैन की छपी फ़ोटो देखकर हम बच्चों को यकीन हो गया की सुपरमैन की मौत पेन से ही हुई है। उस आर्टिकल की हैडिंग तो याद नही है लेकिन उसमें एक आर्टिस्ट की कुंची और सुपरमैन की सोफे में बैठी हुई फ़ोटो जिसमे उसका एक हाथ कमर में रखा हुआ था, उसको देखकर हम बच्चों ने अंदाजा लगाया की सुपरमैन की कमर में कोई खास जगह पर पेन की नीब चुभाने से उसकी मौत हो गई। जबकि वो खबर सुपरमैन के आर्टिस्ट joe shuster की मौत पर उनको श्रद्धांजलि देने के लिए लिखी गई थी। जिनकी मौत 30 जुलाई 1992 को हुई थी

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