
Saturday, May 13, 2023
क्लासिक नागराज और उसका अंतहीन अंनत सफर
Deepak Singh जी की कलम से ------टेन,टेन,टेंनन !!
कुछ याद आया मित्रो ,,😊
बिल्कुल आया होगा ,,
जरा चला जाय बचपन की यादो मे, गर्मी की छुट्टियों के बाद
May, june, july !
वाली गर्मी की दोपहरी मे
लू लग जाने टाइप वाली
बहती हुई गर्म-गर्म हवाएं,,
नाना नानी का घर,,
आम-लीची का बगीचो
वाले पेड की छावं मे ,
खाट डाल के ऊस पे पसर के comic पढ्ना
जन्नत से कम नही होता था अपन के लिये,
टाईम तो पूरा रह्ता था
ब्स, कॉमिक्स ही कम पड जाती थी ,,
Comic के 1-1 घटते हूए पन्नो का अफसोस भी होता था ,,
खत्म होते ही पैसे जोड़ कर सिधे comic store पर भागना,,
और अगर कही शॉप बंद दिख जाती तो जो शॉक लगता था ना ?
फ़िर इन्तजार ,, दुकान खुलने का ,,,
मन ही मन दुकानदार को भला बुरा कहते हूए अपनी भी किस्मत को दोष देना,
1 - 1 पल काटना मुश्किल हो जाता ,, और
जब अचानक से दुकान वाला आता दिख जाता तो लगता था मानो जीवन सफल हो गया ,,
अब comic तो मिल गयी पर समय बहुत लग गया
फ़िर पूरे रास्ते सोचते हूए जाना की
कोई पूछेगा की इतना देर कहा थे ? तो कौन सा बहाना बनाना है
ऐसे थे ऊस दौर के (2000 से पहले वाले) हमारे जैसे comic premi !
रूह मे बसती थी हम लोगो के comic!
ऊस समय वाला नागराज आज भी अपना वाला फील देता है
विश्वरक्षक नागराज
इनको 4 पार्ट मे बंट जाना बाकी का तो नही पता पर मुझे कभी भी अच्छा ना लगा ,,
अपना वाला जो नागराज था ना ,,
जो 1अपराधी को खत्म करने के बाद निकल जाता था अपने अगले सफ़र पर ,
वो दिल की गहराइयो मे उतर जाता था
जो की आज के नय नय क्रमश: वाले नागराज से कभी भी ना हो पायगा
भले ही pant shirt जैकेट मे आय
या
beard look me आ जाय !! 😤
इन्ही सब बकवास बातो को आपसे साझा करते हूए कुछ comic की cover pic है जो
सीधा ले जाती है आपको अपने ऊन सुनहरे दिनो मे, जब बार बार देखने का मन होता था
उसके पन्नो से आती खुस्बू 1 अलग ही खुमार पैदा करती थी ,
और सबसे बढ़ के
ना ही by- मनीष गुप्ता
ना ही by- मनोज गुप्ता
हुआ करता था,,
होता भी था तो
सिर्फ और सिर्फ
"सँजय गुप्ता पेश करते है"
बाते भूल जाती है
यादे याद आती है
आप लोगो की क्या राय है

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