Tuesday, August 6, 2024
70s 80s के दशक में पहाड़ पर बने विशाल पाषाण मुख की कहानियां
70s 80s में पहाड़ पर बने विशाल पाषाण मुख की कहानी भी बहुत प्रसिद्ध रही थी l इसका अंदाजा एक कहानी का विभिन्न प्रकाशनों द्वारा अपनाए जाने से पता चलता है l सबसे पहले इंद्रजाल में मेंड्रेक की रहस्यमय पाषाण मुख कॉमिक्स से लेकर डायमंड कॉमिक्स में चाचा भतीजा और पर्वत देवता के अतिरिक्त ताऊजी की भी एक कॉमिक्स (tauji 6 digest में ) इसी कहानी पर आधारित प्रकाशित हुई थी l
पुरानी कॉमिक के भूले बिसरे पन्ने 😊
Monday, August 5, 2024
नागराज और अदृश्य हत्यारा
Jai Kishor Rankawat जी की कलम से...............आज एक बड़ी डरावनी याद शेयर कर रहा हूँ... नागराज और अदृश्य हत्यारा के लिए जो झेला मैंने उसी के बारे में बताने जा रहा हूँ।। एक रोज मेरे दोस्त ने मुझसे कहा कि "मेरे पास नागराज और अदृश्य हत्यारा कॉमिक आने वाली है... अगर पढ़नी हो तो शाम को मेरी दुकान पे आ जाना।" उसके कपड़ों की दुकान थी और अक्सर हम कॉमिक शेयर किया करते थे। अब दुर्भाग्य से (मेरे लिए दुर्भाग्य) उसी दिन शाम को मुझे मम्मी पापा के साथ 'बनोरी' मे जाना था। बनोरी/बंदौली हमारे यहां उसे बोलते है जब दूल्हा घोड़ी पे बैठ कर बैंड बाजे के साथ निकलता है। जिसे निकासी भी कहते है। तो भई... बुझे मन से मैं बनोरी में शामिल हो गया। मम्मी पापा के साथ साथ चल रहा था। लेकिन मन नागराज और अदृश्य हत्यारा में अटका था। दिल कर रहा था भाग के मेरे दोस्त की दुकान पे चला जाउ और हाथों हाथ कॉमिक पढ़ डालू। दरअसल मेरे शहर में कॉमिक की बड़ी मारा मारी सी रहती है। गिनी चुनी 2 दुकाने थी जहां कॉमिक मिलती थी। कई बार हमें पॉपुलर कॉमिक मिल ही नही पाती थी। इसलिए मुझे ये डर था कि क्या पता कल ये कॉमिक मुझे मिले न मिले।। यही सब सोचते हुए मैं बनोरी में चला जा रहा था। चलते चलते वो मोड़ आ ही गया जिस पर मुड़ते ही मेरे दोस्त की दुकान पड़ती थी। बनोरी सीधी निकलनी थी और मेरा मन मुझे दुकान की तरफ मुड़ जाने को कह रहा था। बस इसी पल मेरा मन भारी पड़ गया और मैं चुपके से मम्मी पापा को बिना बताए भीड़ का लाभ उठाकर दोस्त की दुकान की तरफ मुड़ गया। दुकान पर पहुंचते ही मैंने अदृश्य हत्यारा हाथ मे ले ली और जी भर के उसे निहारा। फिर इत्मीनान से उसे बड़े मजे लेकर पढ़ा। जी खुश हो गया था मेरा। कॉमिक पूरी कर के दोस्त से टाइम पूछा। 7 बज गए। अब मैं बड़ी दुविधा में था। घर जाऊँ??? तो ताला होगा वहां।।। और बनोरी किस जगह गयी ये मुझे पता नहीं था। तो मैंने दोस्त की दुकान पे ही बैठे रहना उचित समझा। धीरे धीरे 8 बज गए। उसकी भी दुकान बंद होने का टाइम हो गया। अब मैं भारी कदमों से घर रवाना हो गया। इस बात से अनजान की मम्मी पापा पे क्या बीत रही होगी। मैं यही समझ रहा था कि वो लोग बनोरी में जाकर भोजन वगेरा कर के घर चले जायेंगे। अब मैं घर पहुंचा....
घर के बाहर पिताजी स्वागत के लिए तैयार खड़े थे...
मम्मी घर के बाहर ही चौकी पे रुआंसी बैठी थीं। मेरा दिल धाड़ धाड़ कर बज उठा। मैं तेजी से भाग कर घर मे घुस जाना चाहता था। लेकिन मुझे पकड़ लिया गया। कसम से बिना कुछ पूछे... बिना कुछ बोले मेरी जो सुताई हुई... बाप रे.... कपड़ों की धुलाई भी शरमा गयी।। फिर शुरू हुआ लेक्चर का दौर... मुझे बताया गया कि.... कैसे मुझे बनोरी में न पाकर उनके हाथ पांव फूल गए थे। हाथो हाथ बनोरी छोड़ कर उन्होने सारे शहर में मुझे ढूंढना शुरू कर दिया था। मेरी चिंता में उनका खाना पीना हराम हो गया था। मम्मी की तो हालत ही खराब हो गयी थी। बस थोडा और मैं लेट हो जाता तो पुलिस में रिपोर्ट कराने जाने वाले थे। आज मुझे इस बात की गंभीरता का एहसास होता है कि मैंने कितनी बड़ी नादानी की थी। लेकिन कुछ भी हो.... मैंने नागराज और अदृश्य हत्यारा पढ़ ही ली।😀
Sunday, August 4, 2024
मेघदूत और ठंडा सूरज
बात 1993 की तब मैं फिफ्थ क्लास में था पिताजी CIW में इंजीनियरिंग थे।
पिताजी के एक जूनियर अस्सिटेंट हुआ करते थे वह काफी पढ़े लिखे थे पिताजी ने उन्हें मेरे और मेरे भाई के लिए ट्यूशन टीचर के तौर पर रख लिया, मास्टर जी का नाम था तोताराम नेगी जी काफी इंटेलिजेंट थे और कड़क भी..... बिल्कुल जेम्स बॉन्ड टाइप, सिर पर वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर रिची रिचर्डसन की तरह हैट पहन कर आया करते थे, एक तो गोरा रंग उसे पर सिर पर हैट बिल्कुल जेम्स बॉन्ड जैसा लुक आता था,
नित्य ट्यूशन की क्लास चलने लगी, अब पड़ोस के 2/4 और दोस्त भी आने लगे। पिताजी की छुट्टी दो बजे होती थी तो वह पिताजी के साथ ही ट्यूशन पढ़ाने घर आ जाया करते थे।
एक रोज मास्टर तोताराम जी ट्यूशन पढ़ा रहे थे, शायद कुछ सवाल दिए थे जिनका उत्तर हम लिख रहे थे इतने में मास्टर जी के लिए चाय आई और वह चाय पीने में व्यस्त हो गए।
उस दिन मैं स्कूल से आते समय एक कॉमिक्स किराए पर लेकर आया था शायद कॉमिक्स का नाम "मेघदूत और ठंडा सूरज" था, बस इसी अति उत्साह में किताब की बीच में कॉमिक्स छिपा कर पढ़ने लगा, इतने में मास्टर साहब चाय पीकर कमरे में वापस आ गए और मुझे रंगे हाथ कॉमिक्स पढ़ते देख लिया....साथ ही एक मित्र नवीन पाल (अब दुनिया में नहीं रहा, बिजली के तार से झटका लगने के कारण रीढ़ की हड्डी टूट गई थी, बाद में लगभग 10 साल बाद स्वर्गवास हो गया था) भी कॉमिक्स में तांक झांक कर रहा था
🤪
फिर क्या भिड़े मास्टर ने तो टप्पू को छोड़ दिया, लेकिन मास्टर तोताराम जी ने थप्पड़ दस मारे होंगे और गिना एक होगा🤣, और पिताजी बिलकुल भी जेठालाल की तरह नहीं थे जो सिर्फ डांट डपट कर ही छोड़ दे.....
DM बूट तशरीफ पर दो चार तो लगी ही होगी.....😭
नवीन पाल के भी चांटे लगने के बाद पूरी ट्यूशन क्लॉस साइलेंट मोड पर चली गई,
और कॉमिक्स चीथड़े चीथड़े.....😁
#मेरी_कॉमिक्स_की_दुनिया_और_पुरानी_यादें_vd
लम्बू मोटू और अपराधियों का बादशाह
लम्बू- मोटू और अपराधियों का बादशाह कॉमिक्स से
वो दौर याद आता है जब
दशहरे की छुट्टियां थी ज़िंदगी सिर्फ दो चीजों के इर्द गिर्द
घूम रही थी एक क्रिकेट का ग्राउंड और दूसरा दिल्ली 40 की कॉमिक्स की दुकानों की गलियां,क्रिकेट और कॉमिक्स दोनों से उस समय प्यार बेपनाह था बता पाना जरा मुश्किल था की दोनों में से प्यार किससे ज्यादा था उस समय
संजय कॉलोनी (बगल के मोहल्ले )में एक दोस्त था अनिल मलिक जिगरी दोस्त था मेरा उन दिनों मुझे अंगारा बहुत ज्यादा पसंद था लेकिन मेरा दोस्त अनिल क्लासिक नागराज का पक्के वाला फैन था, मेरा बालमन अंगारा की तरफ ज्यादा आकर्षित था गैंडे की खाल, लोमड़ी का दिमाग , गिद्ध की आंखे, शेर का दिल, हाथी का जिगर, गोरिल्ले का शरीर
बड़ा रोमांचक लगता था उन दिनों,
मेरे अजीज मित्र Ashish Agarwal जी तो अब भी बहुत बड़े प्रेमी है अंगारा के
उन दिनों कॉमिक्स मतलब सुपरहीरो ही था अपने लिये
ये बिना सुपरहीरो की कॉमिक्स बड़ी बेकार लगती थी उस समय राम रहीम, लम्बू मोटू, कर्नल कर्ण,राजन इक़बाल, अच्छे नहीं लगते थे उस समय पर
अब उल्टा है ये ही ज्यादा पसन्द है अब
तो चलिये अब मुद्दे की बात करते है लम्बू मोटू और अपराधियों की बादशाह कॉमिक्स की
लम्बू मोटू की कॉमिक्स के बारे में सुना था तो
लेकिन कभी पढ़ी नहीं थी, अनिल ने कहा उसके पास कॉमिक्स है लम्बू मोटू और अपराधियों का बादशाह अगर मैं चाहूं तो एक्सचेंज कर सकता हूँ बदले में उसे अंगारा की कॉमिक्स चाहिये अंगारा की कॉमिक्स तो नहीं थी मेरे पास इस कॉमिक्स के बदले मैंने उसे कॉमिक्स दी थी जम्बू की "जम्बू गया हार"
बाद में बड़ा दुख हुआ ये कैसी कॉमिक्स ले ली मैंने बदले
में 😊
पर आज लम्बू मोटू की कॉमिक्स बहुत पसंद है मुझे ❤️
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