Saturday, January 30, 2021

बचपन में कॉमिक्स को लेकर वो प्यारी बेचैनियां

                 देवराज शर्मा जी की कलम से👇
 हमारे कॉमिक्स पढ़ने के दिनों में हमारे अंदर कॉमिक्स को लेकर बहुत बेचैनियां रहती थी जैसे नया सेट कब आएगा, और आ गया तो अपनी पसंद की कॉमिक्स को पढ़ने के लिए या खरीदने के लिए पैसे उस वक़्त होंगे कि नही, स्टीकर कैसा होगा इत्यादि ।।

इन्ही सब बेचैनियों के बीच में मेरी सबसे बड़ी बैचैनी जानते हो दोस्तो क्या थी ? वो बेचैनी थी अधूरी कहानी वाली कॉमिक्स यानी कि वो कॉमिक्स जो दो पार्ट या कभी कभी 3 पार्ट मे आती थी ।।


और बेचैनी तब बढ़ जाती थी जब कहानी ऐसे समय पर रुक जाती थी जहाँ उस कॉमिक्स पढ़ने का exitement पढ़ते पढ़ते अपने चरम पर पहुच चुका होता था , परंतु अचानक पता चलता है कि कहानी रोक दी गयी है और अगले भाग मे पूरी होगी, उस समय दोस्तो याद करो अपनी क्या हालत होती होगी मन बेचैन दिल परेशान आंखे हैरान ये सोचकर कि न जाने आगे क्या होगा यकीन मानो उस रात नींद भी नही आती थी और हम लेटे लेटे आगे की कहानी की कल्पना शुरू कर देते थे ।।


और सबसे बड़ा सितम ये होता था अधूरी कहानी के बाद हमारी बेचैनी को भड़काने के लिए कुछ डरावने सवाल छोड़ दिये जाते थे जैसे :- अब क्या होगा ?, क्या वो उसको मार सका ?, वो कौन था ?, इत्यादि 


फिर तो बेचैनी की आग तब तक भड़की रहती थी जब तक कॉमिक्स का अगला पार्ट हाथ मे नही आ जाता था और उसको पढ़ने के बाद ही बेचैनी की ज्वाला शांत होती थी


और उन दिनों तो इस अधूरी कहानी की रेस मे अपना क्लासिकल नागराज 1st था इसकी पहली कॉमिक्स से ले कर इच्छाधारी नागराज तक जितनी भी कॉमिक्स आयी उनमे से बच्चो के दुश्मन को छोड़कर सभी कॉमिक्स पार्ट्स मे थी

तो मेरे प्यारे मित्रो ये थी मेरी कॉमिक्स लाइफ की सबसे बड़ी बेचैनी 

आप सब की बेचैनी क्या थी कमेंट बॉक्स मे जरूर सांझा करे, पढ़ कर अच्छा लगेगा

आपके कमैंट्स के इंतजार मे,


आपका अपना 

देवराज शर्मा









Sunday, January 17, 2021

क्लासिक नागराज का वो स्वर्णिम दौर ।।


        Jai Kishor Rankawat जी की कलम से

                         क्लासिक नागराज...

राज कॉमिक्स से जुड़ी कुछ यादों में सबसे खास है पुराने ऐड। जब कॉमिक्स के पिछले पेज पर इस तरह के ऐड देखता था तो रोमांच का एक सैलाब से फूट पड़ता था। उस वक़्त नागराज के गिने चुने कॉमिक ही मैंने पढ़ रखे थे। और जब भी नागराज के प्रकाशित कॉमिक्स की लिस्ट देखता था तो वो सनसनीखेज नाम पढ़कर बहुत कल्पनाएं करता था। जब नागराज के इस तरह के बैक कवर ऐड पर नज़र जाती तो मानो दिमाग झनझना उठता। बस कल्पनाओ की उड़ान। टाइटल कवर के चित्र देख कर ही कहानी का अनुमान लगाता रहता था। मुझे नागराज, ध्रुव, बांकेलाल के इस तरह के टाइटल कवर के चित्र वाले ऐड  बहुत ज्यादा पसंद थे।

नागराज के इन कॉमिक्स में मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया कोबरा घाटी के कवर ने। इसके साथ ही खूनी कबीला, लाल मौत, नागराज और कालदूत जैसे धमाकेदार कॉमिक्स मन पर छाए रहते। अब नागराज के नए कॉमिक तो मेरे हाथ मे आ रहे थे लेकिन पुराने कॉमिक्स उपलब्ध नहीं थे। उनके प्रति मेरी तड़प भी बढ़ती जा रही थी। दरअसल मैं जिस शहर में रहता हूं वहां एक दो दुकाने ही थी जो मैं जानता था। वहां नए सेट तो कभी कभार मिल भी जाते लेकिन पूर्व प्रकाशित कॉमिक्स अब नहीं मिल रही थी। मैंने नागराज को 'काबुकी का खज़ाना' से पढ़ना शुरू किया था।इस से पहले वाले कॉमिक्स मुझे मिल नहीं रहे थे। धीरे धीरे ये कॉमिक मेरे हाथ में आने लगे। कोई खस्ता हालत में होते तो कोई बेहतर हाल में मिल जाते। इनकी खोज कुछ इस तरह से की मानो बगदाद की पुरानी गलियों में कोई रहस्यमयी चीज़ ढूंढी जा रही हो। एक एक कॉमिक् कीमती हीरे की तरह जमा की। मुझे आज भी ये कैप्शन रोमांचित करते हैं- "राज कॉमिक्स में पढ़िए नागराज के धमाकेदार कॉमिक्स/नागराज के सनसनीखेज कॉमिक्स/ नागराज के हैरतअंगेज कॉमिक्स।"

आज नए कॉमिक्स आते जा रहे हैं लेकिन उनमें वो बात कहां जो  इन अद्भुत 32 पन्नो में थी।

आज मेरे पास ये सारी कॉमिक्स है। सहेज के रखी है। इनमे बचपन जो है मेरा। 😊❤️











Saturday, January 16, 2021

तौसी और गिद्ध

 


               Vikas D जी की कलम से✍

     तौसी और गिद्ध कॉमिक्स से बहुत सी यादें जुड़ी है। 

एक समय ऐसा था जब तौसी और गिद्ध कॉमिक्स का बेसब्री से इंतज़ार था । गिद्ध की एक अलग ही खतरनाक छवि बन गयी थी कॉमिक्स आने से पहले दिलो-दिमाग में

जब मैं सिक्स क्लास में था तब इसे लास्ट टाइम देखा था..... हमारे यहां जहां अब हम रह रहे हैं पहले एक वियावान जंगल था और रेलवे पटरी के पास काफी बंजर भूमि भी थी... उस बंजर भूमि बीच में एक जोहड़ था जहां वाल्मीकि समाज के लोग की पूरी बस्ती है इस बस्ती के बीच में से हमारे स्कूल को जांने वाला एक शॉर्टकट रास्ता था अक्सर मैं और मेरा भाई पंकज इसी रास्ते से जाया करते थे  उस जोहड़ के आसपास हजारों हजार की तादाद में  गिद्ध पाए जाते थे और वह साइज में इतने बड़े हुआ करते थे जिन्हें देखकर डर जाया करता था मेरा भाई पंकज मुझे बोलता था कि गिद्ध आदमियों को लेकर उड़ जाते हैं तो मैं इनसे बहुत डरता था.....मेरा भाई पंकज तो ऐसा करता था जैसे हम उस जोहड़ के नजदीक पहुंचे था वैसे ही मुझे छोड़कर घर की ओर भाग जाता था मैं डरता डराता रोता हुआ घर आता था...... लेकिन एक लंगडी पटवारी ने अवैध तरीके से लोगों को बेच दिया है अब यहां पर पूरी कॉलोनी बस चुकी है गिद्ध नहीं पाए जाते..... अब यहां भेड़िए मिलते हैं इंसानी रूपी भेड़िए है मेरे पास एक फोटो है ढूंढ कर अपलोड करूंगा जिसे मेरे भाई ने खींचा था इसमें मैं और मेरा एक दोस्त खड़े हुए हैं और पीछे एक  विशालकाय गिद्ध बैठा हुआ है हमारे घर की छत पर......





Friday, January 15, 2021

मेरे बचपन का प्यारा साथी मेरा क्लासिक नागराज❤

 



         Jai Kishor Rankawat जी की कलम से

बात तब की है जब मैं मैंने राज कॉमिक पढ़ना शुरू किया ही था। अब तक मैं नागराज, ध्रुव, बांकेलाल और भोकाल जैसे केरेक्टर्स से जुड़ चुका था।तब तक मैंने नागराज की कॉमिक ' काबुकी का खजाना', 'नागराज और थोडांगा', 'खूनी खोज', 'खूनी यात्रा' पढ़ी थी।  फिर मेरे हाथों में आई नागराज की एक शानदार कॉमिक -  'नागराज का दुश्मन'! कॉमिक का टाइटल कवर देखकर सम्मोहित सा हो गया। ओवरकोट से निकलता नागराज बिल्कुल स्टाइलिश हीरो की तरह लग रहा था। जब कॉमिक के पन्ने पलटे तो नागराज का खलनायक रूप देखकर दिल बैठ गया। अंदर ही अंदर घुट गया। समझ ही नहीं सका कि मेरा सुपर हीरो इस तरह विलेन कैसे बन गया। बालमन घबरा गया कि नागराज किस तरह बदनाम होकर रह जायेगा। लेकिन जब एंट्री हुई रियल नागराज की।और जिस तरह से उसने नागदंत का पर्दा फाश किया सच मे सुकून मिल गया। कि हां... सब कुछ ठीक है। इसी तरह की कई फीलिंग्स जुड़ी है। हर कॉमिक के साथ। बैठे बैठे कभी जब बचपन मे लौटता हूँ तो ये सब याद करके होठों पर एक मुस्कान खेल जाती है। सच में क्या क्लासिक दिन थे वो! क्या क्लासिक नागराज था हमारा!!!








Friday, January 1, 2021

"लम्बू-मोटू और अजगरों की गुफा" एक बेहतरीन चित्रकथा





Ashutosh Sharma जी की कलम से -

 एक बहुत ही शानदार कथानक - लंबू मोटू और अजगरों की गुफा।

 हमारे सभी कॉमिक प्रेमी भाइयों को हर रविवार दोपहर को रेडियो पर आने वाले "मुन्नू पढ़ता डायमंड कॉमिक्स..." प्रोग्राम तो याद ही होगा।इसका तो बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहता था। मज़ाल है कि कोई एपिसोड miss भी हो जाता।डायमंड कॉमिक्स पब्लिसिटी का ये अनूठा प्रयोग था।लगता था मानो कहानी को हम विभिन्न पात्रों के मुख से सुन नही रहे बल्कि देख रहे हैं। उसी में LM अजगरों की गुफा की कहानी सुनकर वाकई सिहरन सी दौड़ गई थी। मन में उस कॉमिक को पूरा पढ़ने की इच्छा बाकी थी। 

हवेली से आती रोशनी , विचित्र आवाजें।लोग वहां जाने से डरते थे। वही लंबू मोटू का स्कूल कैम्प लगता है और उनका एक साथी गायब हो जाता है। पर कोई सुराग हाथ नही आता। हवेली में एक खानदानी दंपति और उनका एक नौकर।आस पास भी कोई सबूत नही। 

फिर छुपकर तलाश करते हुए लंबू मोटू उस हवेली में घुस जाते हैं, वहाँ उन्हें एक बीन की आवाज़ सुनाई देती है।अंदर का दृश्य देखकर मानो आंखें कटोरों से उबलकर गिरने वाली ही होती हैं। बीन की आवाज़ पर उनका नौकर आधा इंसान और नीचे से आधा अजगर बनकर भयंकर फुफकार चीत्कार करते हुए बीन पर थिरक रहा है। आगे क्या होता है यही कहानी को विराम हो जाता है और भय तथा आश्चर्य मिश्रित कहानी को पूरा कौन नहीं पड़ना चाहेगा।

😉😉😉

मेरा ये कॉमिक पढ़ने का इंतज़ार बहुत लंबे समय बाद खत्म हो पाया। Er Shushant Mittal भाई की कृपा से मुझे वो शानदार कॉमिक्स प्राप्त हुई। और मेरी अधूरी जिज्ञासा शांत हुई। आप सभी भाइयों में से किसकिसने ये पढ़ी है।



भारतीय कॉमिक्स जगत का वो स्वर्णिम दौर

 







Rajesh Jasiwal जी की कलम से ✍

सहपाठियों,......💐 ये कालजयी कॉमिक्स कैसे बंद हुईं ?दुख हो रहा है 😢😢😢😢 कितने बड़े लेखकों, आर्टिस्टों को हमने गुमनामी की गर्त में जाने अनजाने में धकेल दिया।इसका जिम्मेदार मैं भी अपने आपको मानता हूँ।ये कॉमिक्स हमारे लोगो को हमसे जोड़ने का अतुल्नीय साधन था।उफ! ये पीड़ा सचमुच इतने वर्षों बाद उभरेगा वो भी हर चीज़ काफी एडवांस औऱ बेहतर होगी पर मन को सिर्फ आनंद देने का काम सिर्फ ये पुरानी कॉमिक्स ही कर पा रही हैं।इसका कारण एकमात्र हैं ऐसा मेरा मानना है कि ये कॉमिक्स हृदय से निकल कर मस्तिष्क पे छाप छोड़ती थी।कहानी,पटकथा ,कला इत्यादि सब एक ही समय की थी पर समय और भावनाओं से काफी आगे थी।जो भी आगे इसका उद्भव फिर से होगा कि नही कहा नही जा सकता पर ये सब हमारे यादों में अपना प्रेम उड़ेल चुकी हैं और समय समय ये फिर हमें स्वर्णिम पलो में ले जाएंगी।मनोज कॉमिक्स,तुलसी कॉमिक्स,अमरचित्रकथा,इंद्रजाल कॉमिक्स,स्टार कॉमिक्स,पवन कॉमिक्स,डायमंड कॉमिक्स,प्रभात कॉमिक्स,राधा कॉमिक्स,दुर्गा कॉमिक्स,राज कॉमिक्स इत्यादि।