Thursday, March 9, 2023
अमित आनंद जी की "नागराज और बुगाकू से जुड़ी यादें"
अमित आनन्द जी की कलम से बचपन की यादें................
नागराज और बुगाकु (वर्ष 1992 अगस्त)
बात सन् 1992 की है जब मेरे पापा राँची मेरे लिए कॉमिक्स लाया करते थे। आज वो मेरे साथ नहीं हैं, पर उनकी लाई हुई कॉमिक्स और वो बचपन वाले दिन की यादें हैं। स्पष्ट शब्दों में कहा जाय तो नागराज मतलब प्रताप मुलीक जी, उन्होने ने नागराज के कवर में अपने सजीव चित्रांकन और जीवंत चित्राकन से बच्चों को अपना चहेता बना दिया। बात 1992 की है जब नागराज और दुगाकु के विज्ञापन उस समय का सबसे प्रसिद्ध विज्ञापन माना जाता है। जब घर में हमलोग ची०सी०आर० से कोई फिल्म देखते थे, वो विज्ञापन बीच में आ जाने से पता नहीं क्यों एक जोब सा आ जाता था। तो बात उन दिनों की करें जब 'नागराज और बुगाकु' कॉमिक्स प्रकाहित हुई। ये कॉमिक्स इतनी प्रसिद्ध हुई लगभग हर स्कूल में लंच टाइम में ये कॉमिक्स एक बुक के अन्दर रखकर हमलोग पढ़ते थे। फिर मैंने अपने पापा से जिंद करके ये कॉमिक्स मंगाई और जब वो कॉमिक्स घर में आई में रातभर सो नहीं पाया ये कॉमिक्स इतनी अच्छी लगी मुझे उस समय नागराज और राज कॉमिक्स का बहुत क्रेज था। ध्रुव भी बहुत पोपुलर था लेकिन नागराज की जगह और प्रताप मुलिक जी की जगह लेने वाला कोई नहीं था। नागराज और बुगाकु को क्रेज उस समय इतना था जो कि शब्द कम पड़ जाय बच्चों बच्चों की जुबान पर
वैसे नागराज की सारी जेनरल कॉमिक्स मेरी सबसे पसंदीदा और मेरे कलेवान में अभी भी है जो किसी अनमोल नगीने से कम नहीं है। प्रतीप मुलीक जी, चन्दु जी, संजय अष्टपुत्रे जी, विनय जी और मिलींद मुलिक जी को मैं धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होने मेरे बचपन को इतनी सारी कॉमिक्स की यादें जी जो अभी तक मेरे दिल के करीब हैं, और कॉमिक्स ही मेरा पहला प्यार है।
अमित आनंद जी की कलम से
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