Sunday, April 30, 2023
नागराज की कहानियों में अनगिनत बदलाव
Devraj Sharma jee की कलम से---------
1996 से नागराज की जिंदगी को जंजाल बनाने में कोई कसर नही छोड़ी गई
नागमणि द्वीप नागद्वीप बन गया, एक टटपुँजिया सी थ्रू और कुछ नही तो नागराज की इच्छाधारी शक्ति चोरी करने लगा, अब नागराज को ठंड भी लगने लगी, और उसको केंचुली तो ऐसे उतारना सिखाई जैसे कोई खुद अपनी इज्जत उतार देता है,
पम पम का सपेरा बीन नही, गिटार बजाता है, यही नही उसके पुराने खलनायकों को जैसे, थोडांगा, तूतेन खामैन, नागदंत, शाकुरा आदि को कमजोर बना कर कार्टून नागपाशा को सबसे खतरनाक घोषित कर दिया
अजीब अजीब से नए नागू और शीतनाग जैसे दोस्त दे दिए
जो नागराज बड़े ही attitude और रौब से खूनी जंग में डिसिल्वा से कहता है कि "मैं कभी किसी की नौकरी नही करता" वही नागराज आज खुद की कंपनी में एक मामूली सा मुलाज़िम बन कर रहता है, जिसका कोई भी ऐरा ग़ैरा मजाक उड़ा कर चला जाता है
विसर्पी जो नागराज का पहला प्यार है, उस बेचारी को ऐसी सिचुएशन में फसा दिया जो वो नागराज से कभी विवाह नही कर सकती, लेकिन भारती को प्यार करने का पूरा हक दे दिया और तो और नागरानी को तो उसके बच्चे की मां तक बना दिया.....इस पम पम की भैस को क्या विसर्पी ने डस लिया था क्या ? जो उस से ऐसा बदला ले रहा है
नगीना को विसर्पी की मां बना डाला
और कितने जंजाल गिनाऊ यार
एक बार को उलझा हुआ मांझा सुलझ जाएगा, लेकिन नागराज की जिंदगी जो इसने उलझाई है उसको तो स्वयं बाबा गोरखनाथ और भगवान भी मिलकर नही सुलझा सकते क्योंकि कालजयी को खड़ा कर दिया है गोरखनाथ की जगह
Saturday, April 29, 2023
खूनी खोज, खूनी यात्रा , नागराज का इंसाफ
Devraj Sharma जी की कलम से---------
खूनी खोज से जो नागराज का नया अवतार सामने आया था, वो प्रताप जी की आर्ट का जादू था, जिसमें चंदू जी का सहयोग अविस्मरणीय था, और शायद कथा राजा जी की थी.....इन सभी के सहयोग ने नागराज को एक स्पेशल आयाम प्रदान किया, और नागराज की फैन फॉलोइंग अचानक चरम पर आ गयी, और फिर खूनी खोज पढ़ने के बाद सबको इंतज़ार था ख़ूनी यात्रा का...क्योंकि खूनी खीज का क्लाइमेक्स कुछ ऐसा थ्रिल्लिंग छोड़ा था तो खूनी यात्रा का इंतज़ार तो लाज़मी था
और फिर आयी खूनी यात्रा.....जहां फ्लोरिडा और डॉन की गलतफहमी दूर होती है, और वो दोनों अपना अपना बदला लेने के लिए नागराज के साथ निकल जाते है एक खूनी यात्रा पर, जहां पर नागराज, फ्लोरिडा और डॉन का एक ही मकसद था, विलियम का सर्वनाश....इस खूनी यात्रा में तीनों विलियम तक पहुचने के लिए बहुत संघर्ष करते है और कॉमिक्स के क्लाइमेक्स में टकरा जाते है टेलो नाम के महाबली से जो विलियम का खास पहरेदार था जो लड़ाई के दौरान नागराज को बेहोश करके टॉवर के नीचे फेंक देता है
अब बारी नागराज का इंसाफ की.....टेलो द्वारा फेके गए नागराज को होश आता है तो वो सर्प रस्सी द्वारा बापस ऊपर आता है तो टेलो से फ्लोरिडा और डॉन संघर्ष कर रहे होते है, लेकिन नागराज आकर टेलो को मार देता है और टेलो की लाश को ये सोचकर सलाम करता है कि "तुम पहले शख्स थे टेलो, जिसने मुझे चोट पहुचाई"
अब प्लान के मुताबिक डॉन विलियम के अड्डो पर बम फिट करता है, और नागराज-फ्लोरिडा पहुच जाते है विलियम के दरबार में, जहां नागराज की रोमांचक जंग होती है जंगारु से, जिसको नागराज हरा कर मार देता है और जंगारु की मौत से पागल होकर विलियम नागराज पर गोलियां चला देता है, लेकिन.....वो गोलियां फ्लोरिडा अपने ऊपर ले कर जान दे देती है
फिर नागराज को गुस्सा आता है और वो विलियम को बोलता है कि फ्लोरिडा सिर्फ तेरी मौत देखने के लिए ही ज़िंदा थी और इसको इंसाफ चाहिए था लेकिन तूने इंसाफ से पहले इसको मार दिया, अब इंसाफ होगा, ये कहकर नागराज एक कराटे से विलियम की गर्दन उड़ा कर इंसाफ कर देता है....उधर डॉन विलियम के अड्डो पर सारे बम फिट करके सही समय पर फोड़कर विलियम की सारी जगह तबाह कर देता है
Thursday, April 27, 2023
यथार्थ नागराज
डॉ.विनोद मेहरड़ा जी की कलम से-------------
असली नागराज वर्सेज नकली नागराज
मेरी नज़र में...नागराज...दुनिया का सबसे जहरीला इंसान,विषफुंकार,नाग,नागरस्सी छोड़ने वाला, समाज के अदने से गुंडे से लेकर डॉन तक भिड़ने वाला,एक इच्छाधारी नाग जो कोई भी रूप धारण कर सकता है,वह पूर्णतः मानवतावादी औऱ हरदिल अज़ीज़ है,भगवान शिव का भक्त ,बाबा गोरखनाथ का शिष्य..आतंकवाद का प्रबल विरोधी औऱ एक महान यायावर है....
...वह हवा में उड़ने वाला,अजीबोगरीब प्राणियों से भिड़ने वाला,डरपोक,कायर ,महा भयंकरकारी रूप वाला,देव कालजयी नाम के कल्पित देव का उपासक कतई नही है..
नागराज का सृजन जिस उद्देश्य को लेकर किया गया कि वह एक ऐसा पात्र हो जो अति मानवीय न होकर बेहद ही सहज आम इंसान की भांति हो, परा मानवीय बिल्कुल भी न हो। उससे लड़ने वाले उसके शत्रु या मानवता के शत्रु उससे भी प्रबल हो,शत्रुओं से विजय पाते समय जिस प्रकार से आम आदमी संघर्ष करके परिस्थितियों पर विजय पता है नागराज को भी बिलकुल उसी तरह का दिखाया जाए...और नागराज के शुरुआती अंको में यह किया भी गया।
नागराज का प्रबल शत्रु नागदंत जब इंट्रोड्यूस किया गया तब हम जैसे पाठकों का रोमांच अपनी उम्र के चरम शिखर पर पहुंच गया...ऐसा तो बाहुबली गाथा में भी न हुआ होगा।
जब नागदंत से नागराज की भिड़ंत हुई तो उसके रोमांच का अंदाजा नही लगाया जा सकता।
बाद में नकली महानगरीय नागराज ने सारे रोमांच को काफूर कर दिया।
जहां महानगरीय नागराज देव कालजयी के कल्पित दैवीय जाल में जा फसा वहीं नागदंत को किसी अनुपमि नाग ने ऐसा डसा की बेचारा विष (पानी)भी न मांग सका।
कैसी अजीब त्रुटि है कि नागराज तो देव कालजयी को धोक देवे और नागदंत की जुबां पे उस कल्पित कालजयी का अब तक नाम नही।
बेहतर होता की देव कालजयी की जगह नागराज को शिव भक्त शुरुआती रूप से दर्शा दिया जाता।बाबा गोरखनाथ शिव अंश की आंशिक पूर्ति करते नजर आते है। नागदंत को और ज्यादा प्रबलता प्रदान करने के लिए उसे भी शिव के किसी रौद्र रूप का भक्त दिखलाते...बेचारा नागदंत...उसकी तो उत्पति (origin) भी अब तक ढंग से न लिखी गई।
वर्ल्ड टेरेरिज्म सीरीज से क्लासिक नागराज की यात्राओं वाला कॉन्सेप्ट लेकर फिर से शुरुआत की गई पर प्रताप मुलिक,चंदू जी आर्ट वाली वैसी सफलता न मिली..जो समय व कलाकारों का कालजयी समागम एक बार टूट जाए तो फिर युग के युग बीत जाते है पर वैसा समागम नही हो पाता।
आज तो नागराज के इतने वर्जन हो चुके है की पाठक तो बेचारा पूरी तरह असमंजस के मायाजाल में फंस चुका...अब तो केवल उस पुराने नागराज की सफलता को ही भुनाया जा रहा है...वैसा नागराज अर्थात असली नागराज तो कब का जा चुका...वह तो जिंदा है तो केवल पुराने पाठकों के दिलों में...
इतना ही...
जय बाबा गोरखनाथ🙏
Wednesday, April 26, 2023
हास्य सम्राट बांकेलाल
Jai Kishor Rankawat जी की कलम से--------------
राज कॉमिक्स में मुझे नागराज के बाद सबसे रोचक कैरेक्टर अगर कोई लगा है तो वो है बांकेलाल। एक गुदगुदाता चरित्र। जो मन ही मन बड़ा षड्यंत्रकारी है लेकिन छवि किसी हीरो से कम नहीं। 😀
मैनें बांकेलाल की जो पहली कॉमिक पढ़ी वो थी 'तिलिस्मी जाल'। इस कॉमिक के बाद मैं बांके के फैन हो गया। फिर 'परियों की मुसीबत', 'स्वर्ग की मुसीबत', 'आदमखोर अंगुली', 'लाश की तलाश', 'बुलबुला का दैत्य' जैसी कई धांसू कॉमिक्स पढ़ी। सब एक से बढ़कर एक थी। इन कॉमिक्स से मुझे जबरदस्त रोमांच और हास्य दोनों मिलता। सीधा सादा सा प्यारा सा आर्टवर्क। परिस्थिति जन्य हास्य। उस पर प्यारे और हंसोड़ संवाद। सब मिलकर गुदगुदा जाते थे। फिर शुरू हुआ बांकेलाल का कई योनियों को भुगतने का सफर।। इस समय तक बांके की कॉमिक्स अच्छी बनती रही। लेकिन....
धीरे धीरे इनमे भी गिरावट आने लगी। 'ही ही ही' का बेवजह प्रयोग, खिजाने लगा। आर्टवर्क बदलने लगा। कहानियों का स्तर भी गिरने लगा। फूहड़ और बोरिंग से संवाद, जबरदस्ती हंसाने की कोशिश लगने लगी। कुछ कहानियां अच्छी आयी लेकिन वो मजा नहीं रहा।
शायद किसी भी केरेक्टर की एक निश्चित सीमा होती है, उसके बाद पतन शुरू होने लगता है। शायद यही सार्वभौमिक नियम है।
भारतीय कॉमिक्स जगत का यादगार लम्हा
5 अक्टूबर 1991
ये बहुत यादगार लम्हा रहा होगा जब भारतीय कॉमिक्स जगत के इतिहास में, पाठक अगले सैट में पहली बार दो बड़े सुपरहीरोज के एक साथ आने का बेसब्री से उंगलियों पर दिन गिन गिन कर इंतजार कर रहे होंगे क्योंकि अब.....
दोनों को एक साथ देखने की ख्वाइश पूरी होने को थी, क्योंकि एक राजनगर का रक्षक था, तो एक सम्पूर्ण विश्व का रक्षक, एक की आर्मी में रेणु ,पीटर मैसी,और करीम शाह जैसे जाबांज थे , तो दूसरा खुद में वन मैन आर्मी था
जो निकला था विश्व आतंकवाद की असंख्य जड़ो को उखाड़ फेंकने के सफर पर ।।
एक कानून के दायरों में रहकर इंसाफ करता था, तो दूसरे का इंसाफ करने का अपना एक अलग तरीका था एक ने ली थी क्राइम फाइटिंग के दौरान किसी भी इंसानी जान को न लेने कसम और दूसरा देता आतंवादियों और अपराधियों को एक बेहरहम,बेदर्द मौत । दोनों के काम करने का तरीका अलग था ,पर उद्धेश्य एक ही था अपराध आतंकवाद का सम्पूर्ण खात्मा
अपने विश्व अपराध उन्मूलन के सफर के दौरान
नागराज *बुलडॉग ,चांगो, सीमैन, विलियम, जैबरा,शंकर शहंशाह, तूफान-जू,अजगर,बेम-बेम बिगलो,यूसुफ बिन अली खान,कोया कोया हितेची* जैसे कुख्यात आतंकवादियों का संहार कर चुका था
वहीं दूसरी तरफ अपनी तीक्ष्ण बुद्धि के बल पर सुपर कमांडो ध्रुव *चैंपियन किलर, रोमन हत्यारा, ग्रैंड मास्टर रोबो, समुद्र का शैतान, जुबिस्को,महामानव* जैसे
शातिर अपराधियों को धूल चटा चुका था।
दो अलग अलग तरीकों से काम करने वाले क्राइम फाइटर अब एक साथ एकजुट होकर एक मिशन को अंजाम देने वाले थे कसम से बेसब्री से इंतज़ार था इस मिशन से जुड़ी घटनाओं से रूबरू होने का
90 के उस दशक में इतिहास रचने वाला था एक बड़ा धमाका होने वाला था ।
मिस हिरोशिमा उर्फ मिस किलर
जापान के अंडर वर्ल्ड में इनकी गुप्त युद्ध विद्याओं ने इन्हें बादशाहत दिला रखी है इनका रुतबा महारानियों वाला है इसलिये इन्हें जापान की सम्राज्ञी भी कहा जाता है जापान में इनकी हुकूमत का सिक्का चलता है
असल में नागराज और मिस किलर को आमने सामने देखने की लालसा की एक बड़ी वजह और भी थी "नागराज और ताजमहल की चोरी" जिसमें इनका अधूरा टकराव हुआ था जब नागराज पर मिस किलर पर अपने सांपो से हमला करता है और मिस किलर नागराज का वार नाकाम कर कहती है "रहने दो नागराज तुम्हारा ये दांव मुझ पर नहीं चलेगा"
मुकाबला अधूरा था तो उत्सुकता अनिवार्य थी मन में दोनों के बीच होने वाले मुकाबले को लेकर जो अब "नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव" कॉमिक्स में पूरी होने वाली थी, एक और बड़ी वजह या जादू कहिये
बकोरा का जादू हो या जादू का शहंशाह, हर जादू की काट मौजद थी, लेकिन प्रताप मुलिक जी की तूलिका का अटूट जादू जिसकी कोई काट नहीं थी, सच बताऊं तो उनके उस दशक में किये जादू से मैं आजतक सम्मोहित हूँ नागराज सीरीज (राज कॉमिक्स की अन्य सीरीज के लिये भी) के लिये एक से बढ़कर एक कवर पेज मानो पुरानी फिल्मों के पोस्टर हो
मानो या ना मानो उनके बनाए कवर पृष्ठों में जादू था
सम्मोहित कर मजबूर करते थे कॉमिक्स खरीदने को
अब बारी थी नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव कॉमिक्स के कवर पेज की यानी के एक और जादू होने वाला था मुलिक साहब की तूलिका से
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