Tuesday, May 23, 2023

क्लासिक नागराज के खलनायक और उनका रुतबा

Jai Kishor Rankawat जी की कलम से------- ज़रा ये नाम पढ़िए- ●सम्राट थोडांगा ●किंग कोबरा ●मिस किलर ●नगीना ●बेम बेम बिगेलो ●जादू का शहंशाह(तूतेंन खामन) ●मकड़ा खाटू ●बिच्छूधड़ा ●केकडा कंठ ●मबीकेना ●नागदंत ●गन मास्टर हुड ●सी मैन ●शंकर शहंशाह ●नागमणि ●बुगाकु ●यूसुफ बिन अली खान ●जादूगर शाकुरा और फील कीजिये वो aura जो इन नामों के साथ जेहन में चमकता था।। और अब सोचिए नए विलेन्स के नाम.... नागपाशा के बाद सुई अटक जाएगी! है ना?? और ये भी एक जोकर से ज्यादा कुछ नहीं।। बाकी ऊटपटांग म्युटेंट्स और सर्प दानवों के अलावा कुछ नहीं उभरेगा दिमाग में। एक भी यादगार विलेन नहीं। घिसा पिटा रिपीटेशन!!! आत्माओं का चक्कर।।। और नागराज की मिट्टी पलीद!।। सच तो ये है कि क्लासिक नागराज दिल से लिखा जाता था और बाद वाला नागराज सिर्फ दिमाग से लिखा जाने लगा। वो भी ऐसे दिमाग से जिसे नागराज के बेसिक अवतार में कोई दिलचस्पी नही थी। वो बस नागराज को अपने रंग रूप में ढालना चाहता था। नागराज को पहले किसी को जान से ना मारने की कसम दिलाई गई। फिर उसके सफर का अंत कर दिया गया। जो नागराज पूरी दुनिया में आतंकवाद का सफाया करता था... पूरी दुनियां के देशों की सरकारों ने जिसके लिए मुफ्त हवाई यात्रा घोषित कर रखी थी.... जिस नागराज का नाम सुन कर दुनिया भर के अपराधियों के तिरपन कांप जाते थे.... उस नागराज को बिल का चूहा बना दिया गया। यहां तक कि गली के मामूली गुंडे भी अब नागराज को धमकाने लगे। कैसे स्वीकार करें हम इन चीज़ों को???

Saturday, May 13, 2023

क्लासिक नागराज और उसका अंतहीन अंनत सफर

Deepak Singh जी की कलम से ------टेन,टेन,टेंनन !! कुछ याद आया मित्रो ,,😊 बिल्कुल आया होगा ,, जरा चला जाय बचपन की यादो मे, गर्मी की छुट्टियों के बाद May, june, july ! वाली गर्मी की दोपहरी मे लू लग जाने टाइप वाली बहती हुई गर्म-गर्म हवाएं,, नाना नानी का घर,, आम-लीची का बगीचो वाले पेड की छावं मे , खाट डाल के ऊस पे पसर के comic पढ्ना जन्नत से कम नही होता था अपन के लिये, टाईम तो पूरा रह्ता था ब्स, कॉमिक्स ही कम पड जाती थी ,, Comic के 1-1 घटते हूए पन्नो का अफसोस भी होता था ,, खत्म होते ही पैसे जोड़ कर सिधे comic store पर भागना,, और अगर कही शॉप बंद दिख जाती तो जो शॉक लगता था ना ? फ़िर इन्तजार ,, दुकान खुलने का ,,, मन ही मन दुकानदार को भला बुरा कहते हूए अपनी भी किस्मत को दोष देना, 1 - 1 पल काटना मुश्किल हो जाता ,, और जब अचानक से दुकान वाला आता दिख जाता तो लगता था मानो जीवन सफल हो गया ,, अब comic तो मिल गयी पर समय बहुत लग गया फ़िर पूरे रास्ते सोचते हूए जाना की कोई पूछेगा की इतना देर कहा थे ? तो कौन सा बहाना बनाना है ऐसे थे ऊस दौर के (2000 से पहले वाले) हमारे जैसे comic premi ! रूह मे बसती थी हम लोगो के comic! ऊस समय वाला नागराज आज भी अपना वाला फील देता है विश्वरक्षक नागराज इनको 4 पार्ट मे बंट जाना बाकी का तो नही पता पर मुझे कभी भी अच्छा ना लगा ,, अपना वाला जो नागराज था ना ,, जो 1अपराधी को खत्म करने के बाद निकल जाता था अपने अगले सफ़र पर , वो दिल की गहराइयो मे उतर जाता था जो की आज के नय नय क्रमश: वाले नागराज से कभी भी ना हो पायगा भले ही pant shirt जैकेट मे आय या beard look me आ जाय !! 😤 इन्ही सब बकवास बातो को आपसे साझा करते हूए कुछ comic की cover pic है जो सीधा ले जाती है आपको अपने ऊन सुनहरे दिनो मे, जब बार बार देखने का मन होता था उसके पन्नो से आती खुस्बू 1 अलग ही खुमार पैदा करती थी , और सबसे बढ़ के ना ही by- मनीष गुप्ता ना ही by- मनोज गुप्ता हुआ करता था,, होता भी था तो सिर्फ और सिर्फ "सँजय गुप्ता पेश करते है" बाते भूल जाती है यादे याद आती है आप लोगो की क्या राय है

Friday, May 5, 2023

90 के दशक में सुपरमैन की लोकप्रियता

Amitesh Pratap Singh जी की कलम से--------- 1992 का साल जब मेरे जैसे बच्चे दूरदर्शन पर सुपरमैन को देखकर अपने गले मे तौलिया बांध कर खुद को सुपरमैन से कम नही समझते थे, हर बच्चा अपने गले मे तौलिया बांध कर सुपरमैन ही बनना चाहता था कोई भी विलेन बनने को तैयार नही होता था, ये हर शाम का एक मनोरंजक खेल होता था। ऐसे में अचानक सुनने को मिलता है कि सुपरमैन की मौत हो गई ये सुनना हर किसी के लिए किसी शॉक से कम नही था, जिसके बारे में हमेशा से सुनते आ रहे थे कि उसपर किसी भी प्रकार के हथियार का कोई असर नही होता वो कैसे मर सकता है। फिर कहीं से पता चला कि सुपरमैन एक पेन से मर गया तब तो ये एक और आश्चर्यजनक बात थी, की कोई पेन से कैसे मर सकता है, वो भी सुपरमैन जैसा शख्स, कुछ दिनों बाद रायपुर से छपने वाले नवभारत (जो की आज भी छपता है) में एक आर्टिकल आया जिसकी हैडिंग और सुपरमैन की छपी फ़ोटो देखकर हम बच्चों को यकीन हो गया की सुपरमैन की मौत पेन से ही हुई है। उस आर्टिकल की हैडिंग तो याद नही है लेकिन उसमें एक आर्टिस्ट की कुंची और सुपरमैन की सोफे में बैठी हुई फ़ोटो जिसमे उसका एक हाथ कमर में रखा हुआ था, उसको देखकर हम बच्चों ने अंदाजा लगाया की सुपरमैन की कमर में कोई खास जगह पर पेन की नीब चुभाने से उसकी मौत हो गई। जबकि वो खबर सुपरमैन के आर्टिस्ट joe shuster की मौत पर उनको श्रद्धांजलि देने के लिए लिखी गई थी। जिनकी मौत 30 जुलाई 1992 को हुई थी

Thursday, May 4, 2023

बाजों का ट्रेनर बाजूली

एक समय था जब नागराज के खलनायक, प्रतिद्वंद्वी सुपरपावर से लैस नहीं होते थे। पर मुकाबला जोरदार होता था , टक्कर जबरदस्त होती थी , एक साधारण सा दिखने वाला विलेन भी एक अमिट छाप छोड़ जाता था,उस समय 32 पृष्ठों की संख्या ही काफी होती थी पाठकों को रोमांच की एक अलग दुनियां में ले जाने के लिये। खैर वो समय अलग था, वो दौर अलग था, वो कॉमिक्स के प्रति दीवानगी अलग थी , वो नागराज अलग था , वो नागराज की कहानी अलग थी । अब न वो नागराज है, ना वो कहानी है ना पब्लिक नागराज की अब उतनी बड़ी दीवानी है । अब बाजों के ट्रेनर बाजूली को ही ले लो नागराज का दमदार प्रतिद्वंद्वी, जिसमें इक्यावन पहलवानों की ताकत थी , जिससे नागराज टक्कर रोमांचक और तूफानी थी |मुझे आज भी याद है जब मैंने पहली बार "नागराज और कालदूत" पढ़ी थी तो इस कॉमिक्स के कवर पेज और भीतरी पृष्ठों के आर्टवर्क को देखकर मैं कॉमिक्स फैन हो गया था इस कॉमिक्स में नागदंत को होना कॉमिक्स को दिलचस्प बनाता है ।। इस कॉमिक्स के विज्ञापन में जो कालदूत के व्यक्तित्व का जो वयाख्यान हुआ था उसे देखकर कॉमिक्स प्रति उत्सुकता चरम पर थी विज्ञापन की ये जबरदस्त हेडलाइन 👇महात्मा कालदूत के लिये ये स्पेशल लाइनें मेंशन की गयी थी ■ मौत का जलजला ■ एक भयानक तूफान ■ एक हैरत अंगेज शक्ति ■ एक सनसनीखेज व्यक्तित्व ■कालदूत■
■ इच्छाधारी नागराज ■ सर्वशक्तिमान नागराज ■ अपराधियों का काल नागराज ■ प्रलयंकारी नागराज कैसे पराजित हुआ यह नागराज ?? बस ये सब देखकर ही उंगलियों पे दिन गिन गिन के इंतजार शुरू हो गया था और जब कॉमिक्स हाथ में आयी तो उसने बिल्कुल भी निराश नहीं किया कॉमिक्स में सब कुछ अव्वल दर्जे का था ।