Wednesday, July 5, 2023

ब्योमकेश बक्शी

Jai Kishor Rankawat जी की कलम से------- जासूस या डिटेक्टिव शब्द जब हम सुनते है तो एक अलग ही हुलिया दिमाग में प्रकट होता है। ओवरकोट पहने... काला चश्मा डाले... मैग्निफाइंग ग्लास ... और तरह तरह के गेजेट्स साथ लिए हुए एक हाई फाई सा बन्दा। व्योमकेश बक्शी इस तरह की फैशन... इस तरह की इमेज को तोड़ते हुए जासूसी का एक अलग ही सादगी भरा अवतार लेकर प्रकट हुआ। इतना ही नहीं स्वयम को डिटेक्टिव के बजाय सत्यान्वेषी कहलाना ज्यादा पसंद करता था। बिना किसी हथियार के... बिना किसी हाई फाई उपकरणों के... वो अपने केस इस तरह सॉल्व करता है.. की देखने वाले को मजा आ जाता है। वो ज्यादातर केस तो लोगों के बयान सुनकर ही समझ जाता है। अपनी समझ और दिमाग पर उसका विश्वास बहुत प्रगाढ़ है। केस सॉल्व करने की अपनी फीस बहुत सादगी से ग्रहण कर लेता है। साधारण सी धोती कुर्ते की वेश भूषा में छुपा ये खुर्राट जासूस सच में काफी प्रभावित करता है। बचपन से मेरी ख्वाइश है की ब्योमकेश बक्शी पर कॉमिक्स बनायी जाए ये वो करेक्टर जो मुझे बचपन से बहुत ज्यादा पसंद है एकदम विशुद्ध भारतीय उस समय के भारतीय पहनावे और रहन सहन को प्रस्तुत करता शानदार धारावाहिक

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