Sunday, September 25, 2022

भारतीय कॉमिक्स का सबसे बड़ा सुपरहीरो नागराज


देवराज शर्मा जी की कलम से
जब राज कॉमिक्स  मनोज और डायमंड कॉमिक्स के आस पास भी नही थी, और ये दोनों पब्लिकेशन टॉप सेलर थे 

नागराज से पहले गगन और विनाशदूत आये और थोड़े बहुत चले भी, लेकिन राज कॉमिक्स की sale का सबसे बड़ा कारण इसकी क्लासिक जनरल कॉमिक्स थी 

फिर नागराज ने एंट्री करी तो सब की टाये टाये फिश


होंग कॉन्ग यात्रा के बाद खूनी खोज, खूनी यात्रा और नागराज का इंसाफ के बाद तो दोनों पब्लिकेशन अपने पाठक ढूंढने लगे थे

रही सही कसर ध्रुव और बांकेलाल की जबरदस्त कॉमिक्स ने पूरी कर दी 

डायमंड तो फिर भी चाचा चौधरी बिल्लू पिंकी के कारण बनी रही 

लेकिन मनोज अस्त होने की कगार पर आ गयी और राज टॉप पर बन गयी





Thursday, September 15, 2022

1991 की गर्मियों की वो खूबसूरत सुबह ।।


विकास दास जी की कलम से

1991 की गर्मियों की खूबसूरत सुबह मुझे आज भी ऐसे याद है जैसे ये कल की बात हो। उस दौर में बिजली की ऐसी सुविधा नहीं थी जैसा कि आज है।
गर्मियों के मौसम के चलते पिताजी अक्सर चारपाई बाहर लगाया करते थे क्योंकि लाइट की बेहद गंभीर समस्या थी ।
और अक्सर मच्छर से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग किया जाता था। एक रोज हमारे बड़े भाई जो कॉमिक्स और नॉवेल पढ़ने के बहुत बड़े शौकीन थे अक्सर रात को काम के चलते लेट आया करते थे।
एक रोज सुबह नींद से आंख खुलते ही मुझे अपनी मच्छरदानी पर कुछ कॉमिक्स पड़ी दिखाई दी जो बड़े भाई जी ने छत से मच्छरदानी के ऊपर फेंक दी थी...
मुझे आसाम से आए हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे इसीलिए उस वक्त मेरी हिंदी इतनी अच्छी नहीं थी इसलिए मेरे से बड़े भाई पंकज जो यदा-कदा कॉमिक्स पढ़ लिया करता था ने वह  कॉमिक्स मुझे दिखाई और उस कॉमिक्स की चित्रकारी को देखकर मेरा मन कितना प्रफुल्लित हुआ की उसके जैसी खुशी मुझे आज तक नहीं हुई।
वह मेरी जीवन की सबसे पहले कॉमिक्स थी। जिसे मैं पढ़ तो नहीं सकता था लेकिन मेरे बड़े भाई पंकज ने उसे मुझे पढ़ कर सुनाया। इसीलिए वह कॉमिक्स ही मेरी जीवन की सबसे पहली कॉमिक्स थी जिसे मैंने ना पढ़ कर भी पढ़ा और उसका खूब आनंद लिया।
और वह कॉमिक्स थी #बांकेलाल_और_मुर्दा_शैतान ।
इस कॉमिक्स के बाद तो मुझे अक्सर अपने बड़े भाई का इंतजार रहता था कि वह कॉमिक्स लाए और मेरा बड़ा भाई मुझे पढ़कर सुनाएं धीरे-धीरे मैं खुद कॉमिक्स पढ़ने लगा।
क्योंकि राज कॉमिक्स का प्रकाशन काफी समय पहले से हो रहा था लेकिन 1991 तक मेरी उम्र मात्र 9 वर्ष थी इसीलिए बाजार जाकर कॉमिक्स लाना संभव नहीं था अतः मुझे अपने बड़े भाइयों पर ही आश्रित रहना पड़ता था।
लेकिन एक सुपर हीरो की तलाश मुझे अभी भी थी , इसी तरह एक रोज #नागराज_की_कब्र कॉमिक्स मेरे हाथों में आई और उस सुपर हीरो की तलाश खत्म हुई।
नागराज मेरा शुरू से ही पसंदीदा कॉमिक्स सितारा रहा जिसका शुरुआती आर्टवर्क्स पंकज जगदीश जी द्वारा तैयार किया गया था और कॉमिक्स के अंदर के पन्ने श्री संजय अष्टपुत्रे जी द्वारा बनाए गए थे।
लेकिन नागराज का असली मजा तो तब शुरू हुआ जब श्री प्रताप मुलिक जी ने नागराज को अपनी पेंसिल से उकेरना शुरू किया, ऐसा मनमोहक नागराज जिसे देखते ही मन प्रफुल्लित हो जाया करता था उसकी कल्पना कोई और नहीं कर सकता ,जिसे मैंने जिया है ,जिसे मैंने स्वयं अनुभव किया है।
प्रताप जी के कवर आर्ट से सजी एक से एक जबरदस्त कॉमिक्स आती रही प्रताप जी का जलवा ऐसा रहा कि सुपर कमांडो ध्रुव ,परमाणु ,अश्वराज, थ्रिल हॉरर सस्पेंस सीरीज के कवर आर्ट की कॉमिक्स उनके द्वारा रची जाने लगी।
बच्चों के दुश्मन, ताजमहल की चोरी ,जादूगर शाकुरा, कोबरा घाटी, लाल मौत और ना जाने नागराज के कितने ही कॉमिक्स कवर उनके द्वारा रचे गए।
इसलिए राज कॉमिक्स के चित्रकारी के पितामह अगर प्रताप जी को कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।....

क्रमशः
लेखक :विकास दास
यह मेरा प्रताप जी को लेकर निजी ओपिनियन है अगर कोई किसी का कोई अपना पसंदीदा कलाकार है उसका इस लेख से कोई लेना देना नहीं है वह अपनी राय स्वयं रख सकता है।






 



राज नहीं मनोज कॉमिक्स थी पाठकों की पहली पसंद ।।

 


राम रहीम ही नहीं,बल्कि जब राज कॉमिक्स का उदय भी नही हुआ था उस समय मनोज कॉमिक्स डायमंड कॉमिक्स के बाद बेस्ट सेलर हुआ करती थी और इसका सिर्फ एक ही कारण था कि इसकी जनरल कॉमिक्स की भी अच्छी कहानियों के साथ कदंब स्टूडियो की बेस्ट चित्रकारी

राज कॉमिक्स आने के बाद कदंब जी ने इसकी जनरल कॉमिक्स की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली जो बहुत पसंद की गई 

सुपर कमांडो ध्रुव की क्लासिक कॉमिक्स के कवर पेज इसके गवाह है, इसके बाद कदम जी को जिम्मेदारी दी गयी भोकाल की कॉमिक्स की चित्रकारी की, और मेरी उम्र के सभी दोस्त जानते है कि ख़ौफ़नाक खेल, तिलिस्मी ओलंपाक, भोकाल, शूतान, अतिक्रूर, और भोकाल तिलस्म में और तिलिस्म टूट गया की महान चित्रकारी कोई भूल नही सकता और जहां तक उनसे संभव हुआ भोकाल के 90 % कॉमिक्स की चित्रकारी इन्ही की बदौलत है, भले ही भोकाल की बाद की कॉमिक्स की कहानी कचरा क्यों न हो गयी हो लेकिन इनकी चित्रकारी में कभी कोई कमी नही आई

आज शायद विजय कदंब जी हमारे बीच नही है लेकिन इनकी चित्रकारी से सजी सेकड़ो कॉमिक्स आज भी हमारे जेहन में अमर है और रहेंगी।।





Wednesday, September 14, 2022

नागराज के पराये होने की कहानी....


 


दोस्तों अपना पसंदीदा सुपर हीरो नागराज जो कभी एकदम अपना लगता था, धीरे धीरे पराया सा होने लगा। यहां क्लासिक नागराज के बारे में बात की जा रही है। ये परायापन अचानक नहीं आया। ये भी नहीं कह सकते कि लेखक बदलने से ही नागराज चेंज हो गया (ये कारण तो था ही लेकिन इसके अलावा भी कुछ कारण थे)!  दरअसल नागराज की कहानियों में परिवर्तन लेखक बदलने से पहले ही आने लगे थे। मुझे ये बदलाव 'नागराज और मिस्टर 420' से महसूस होने लग गए थे। लेकिन आर्टवर्क की वजह से जुड़ाव बना रहा। फिर आये नागराज के तीन कॉमिक्स 'नागराज और तुतेनतू' , नागराज और पापराज' तथा 'नागराज और कांजा'!  इन तीन कॉमिक्स में  नागराज की कहानियों का दम खत्म सा प्रतीत होने लगा। ये कहानियां पहले जैसी दमदार और रोमांचक नहीं थी। 'विसर्पी की शादी' और 'नागराज और मिस किलर' कॉमिक भी दमदार नहीं कही जा सकती। इनमें वो नागराज का परंपरागत आभामंडल नहीं था जैसा काबुकी का खजाना, थोडांगा, ताजमहल की चोरी, खूनी कबीला, खूनी खोज जैसी कॉमिक्स में था।   'नागराज और कांजा' ने तो मानो दिल ही तोड़ दिया था। उसके बाद शुरू हुआ वो दौर जिसने नागराज को हमेशा के लिए बदल के रख दिया। हालांकि शुरुआत में ये बदलाव थोड़ा ठीक लगा। 'खज़ाना' सीरीज से थोड़ा नयापन लगा। लेकिन उसके बाद...... जो वाहियातपन शुरू हुआ ... सच में दिल जार जार करके रोया।  क्राइम किंग, रक्षक नागराज,'बाम्बी', 'स्नेकपार्क' 'विष अमृत' 'सम्मोहन' 'इच्छाधारी' 'पागल नागराज' जैसी कॉमिक्स ने नागराज के प्रति मोहभंग कर दिया। उसके बाद शुरू हुई 'पुत्र उन्नयन योजना' अर्थात कप्तान जी को ऊंचा उठाने की कवायद। जिसने दिमाग की 12 बजा दी। हर एक कॉमिक्स दिल पर हथोड़े की तरह चोट करने लगी। हमारा प्यारा नागराज धीरे धीरे हमसे दूर होने लगा। और अंत में उसने हमें और हमने उसे खो दिया। 


आज भी जब कभी कॉमिक्स के खजाने को खोलता हूँ तो बस क्लासिक नागराज से आगे की कॉमिक्स को हाथ भी नहीं लगा पाता। नागराज और अदृश्य हत्यारा से पहले की कॉमिक्स 100 से ज्यादा बार पढ़ चुका हूं लेकिन उसके बाद की कॉमिक्स एक बार भी मुश्किल से पढ़ पाया...  कलेक्शन के लिए रखी हुई है बस। हो सकता है सबके ख्याल अलग अलग हों... लेकिन मेरा यही अनुभव रहा









Tuesday, September 13, 2022

वास्तविक नागराज

 

Jai kishor Rankawat जी की कलम से

दोस्तों, हमारा नागराज क्या था?? और क्या बना दिया गया ??? ये किसी से छुपा हुआ नहीं है। इसे षड्यंत्र कह लीजिए या पक्षपात लेकिन नागराज इसका जबरदस्त शिकार बना। जो नागराज को शुरू से जानता है वो ही इस पीड़ा को समझ सकता है। बाकी न्यूकमर्स तो कप्तान जी की ही पूंछ पकड़े रहेंगे। अब आप ही बताइए... जिन लोगों ने  अपने आरंभिक दौर में 'नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव' और 'नागराज और बुगाकु' पढ़ी हो वो 'नागाधीश, 'परकाले', 'सौडांगी', 'वर्तमान' जैसे कॉमिक्स कैसे पसंद कर सकेंगे??? ऐसा नहीं है कि ये सब नागराज के साथ ही हुआ हो... बेचारे डोगा को भी मल्टीस्टारर में चीखते हुए, कराहते हुए दिखाया गया है। जबकि ज़बरदस्त चोट पर भी न चीखना डोगा का एक बेसिक पावर है और एक चारित्रिक पहचान है लेकिन इसका भी ध्यान नहीं रखा गया। प्रतीत होता है लेखक को अपने प्रिय पुत्र ....(सॉरी) ...पात्र के अलावा किसी अन्य किसी हीरो की कोई बेसिक जानकारी नही है। लेखक नागराज, डोगा जैसे सुपरहीरो को 'लल्लू लाल'साबित करने पे तुले हैं। क्यों??? इसका सबके पास अपना अपना जवाब है। कुछ भी हो लेकिन हम तो इसी क्लासिक नागराज को रियल नागराज मानते हैं और इसी के फैन बने रहेंगे।



Friday, September 9, 2022

मुलिक साहब का युवा डैशिंग नागराज

 



मुलिक साहब का युवा डैशिंग नागराज 

कभी मेरे पास ट्रेडिंग कार्ड्स की एक गड्डी हुआ करती थी, लेकिन अब तकरीबन 10-12 ही बचे होंगे । उनमें से ये ट्रेडिंग कार्ड मुझे सबसे ज्यादा पसंद था, जो अब मेरे पास नहीं है "क्यों"  उसकी एक वजह है👇

दूसरे मोहल्ले में मेरी सुनीता आँटी  रहती थी जिनके दो लड़के थे सौरव और गौरव, दोनों बहुत शरारती थे ,जब भी कभी अपनी मम्मी के साथ हमारे घर आते मेरी निजी चीजों (कॉमिक्स , क्रिकेट का सामान, वीडियो गेम)का बैंड बजा जाते, उन्होंने मेरी कॉमिक्स तो बेहिसाब उड़ाई 😑साले ये दोनों मेरी जिंदगी के पिछले जन्म का पाप थे  😐

हालात ऐसे पैदा कर दिए थे दोनों ने अगर मझे कहीं बाहर जाना होता और ये दोनों राहु-केतु अपनी माँ के साथ मेरे घर टपक पड़ते तो मैं बाहर जाना रद्द कर देता था इस डर से की अगर मैं बाहर गया तो, साले फिर कुछ उड़ा ले जाएंगे,खैर सालों ने थोड़ी नरमी बरती और गड्डी में से 10-12 ट्रेडिंग कार्ड्स छोड़ गए

पर अफसोस ये वाला ट्रेडिंग कार्ड ले गए पर कोई नहीं सालों को बद्दुआओं में आज भी याद रखता हूँ ।🙃🙏



Sunday, September 4, 2022

ये उन दिनों की बात है ।।

 


आर विवेक आर जे जी की कलम से

अभी अभी सब टीवी पे एक सीरियल आ रहा था नाम था मैडम सर उसमे अभी अभी नागराज का जिक्र हुआ था।

एक पुलिस वाला कह रहा होता है कि बचपन में हमने नागराज बहुत पढ़ा था।

खुशी की बात है।

अब इसकी वीडियो सब कॉमिक्स समूह में फैल जायेगी।

और हम जैसे मासूम कॉमिक्स प्रेमी फिर खुश हो जायेंगे।

लेकिन।।।।

क्या ये खुशी से ज्यादा शर्म की बात नही है???

क्या हम इंडिया के कॉमिक्स प्रेमियों की बस इतनी सी ही औकात रह गई कि कही किसी सीरीज में,सीरियल में या किसी फिल्म में बाल भर जिक्र से ही खुशी से नाचते रहें???

140 करोड़ की भारत की जनता होते हुए भी अपने बचपन के हीरो को बस ये बाल भर के जिक्र से खुश न होके शर्म की बात है कि इन हीरो को असली मुकाम हासिल नहीं हुआ।

और न हो पाएगा।।।

उसका क्या कारण है।

क्या वजह है।

सभी जानते है लेकिन कोई अपने ऊपर जिम्मेदारी न लेके एक दूसरे के ऊपर इल्जाम थोपते नजर आते है।

काश इंडियन कॉमिक्स जगत लालची पब्लिकेशन के हाथो में न होता। और हमारे बचपन के हीरो को ऐसे भीख जैसी पब्लिसिटी न मिल रही होती।








🥹🥹

कॉमिक्स से जुड़ा वो खूबसूरत बचपन ।।

 


आर विवेक आर जे जी की कलम से❤️

90s में कॉमिक्स गली मोहल्ले, रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड, बड़ी छोटी परचून की दुकान,स्टेशनरी की दुकान, यहां तक कि हमारे मोहल्ले के सैलून वाले भी कॉमिक्स बेचते या किराए पे दिया करते थे।

ये वो दौर था जब न मोबाइल न केवल टीवी हुआ करती थी। टाइम पास का अच्छा खासा जुगाड। महीने में दो सेट यानी 12 या 16 कॉमिक्स आती थी एक पब्लिकेशन की और डायमंड,राज,मनोज,तुलसी,राधा,परंपरा,पवन,नूतन,फोर्ट और अनेक पब्लिकेशन हुआ करते थे।।

सुनहरे दिन।

सुनहरी यादें।।

लेकिन तब इन दुकानों पे पोस्टर,बैनर, लड़ी झड़ी,स्टीकर, एलाना,फलाना, दुनियां भर का प्रचार करता था।

एक समय मैंने भी शॉप खोली थी कॉमिक्स की तो उन्होंने झोला भर के नोवल्टी,झालर पोस्टर बैनर ऐसे ही फ्री में दिए दे दिए थे।

कि जाओ ले जाओ सजा दो दुकान को।।

और आज कल।।??

कॉमिक्स जगत डूब गया।

सिर्फ एक पब्लिकेशन मार्किट में जिंदा है।

वो जिस मर्जी प्राइस में दे

लेना पड़ेगा।

वो फ्री नोवल्टी न दे।

तब भी कॉमिक्स खरीदना पड़ेगा।

कुछ सपोर्टर कहते है कि कॉमिक्स ही घाटे में जा रही है तुम्हे फ्री नोवल्टी की पड़ी है बे लालची।।।।।।।।

तो एक उदाहरण।।।।

नत्थू राम हलवाई की पूड़ी बहुत बढ़िया थी।

साथ में आलू की सब्जी,हरी चटनी, लाल चटनी, मिर्च का अचार।

दबा के पूड़ी बिका करती थी।।।

फिर धीरे धीरे नत्थू राम जी समझे कि कस्टमर तो पूड़ी के पैसे देता है अचार तो फ्री में देना पड़ता है।

तो उन्होंने अचार देना बंद कर दिया।।

कोई बात नही।

फिर नत्थू राम जी ने सोचा कस्टमर तो पूड़ी के पैसे देता है। चटनी तो फ्री में जा रही है।

चटनी भी बंद।

सेल थोड़ी सी गिरी लेकिन नत्थू राम जी ने सोचा कोई बात नही अचार ,चटनी तो बच ही रही है।

फिर नत्थू राम जी ने सोचा कस्टमर तो पूड़ी के पैसे दे रहा है सब्जी तो फ्री में जा रही है।

फिर सब्जी भी बंद।।।।।

अब?????

कस्टमर कैसे बिना सब्जी के पूड़ी खाए।


मत खाओ बहुत है नत्थू राम जी के पास तो कस्टमर।।।

धीरे धीरे नत्थू राम जी जो 90s में 10 हजार पूरी रोजाना बेचते थे आज वो ही नत्थू राम जी दिन भर में 100,150 पूड़ी बेच के खुश हो लेते है।

क्युकी अब उनको सब्जी,अचार,चटनी फ्री में नही देनी पड़ती।

जय हो नत्थू राम जी की।

न प्रचार, न कोई एड

बस सूखी पूड़ी बेचे जाओ

प्रभु जी के गुण गाते जाओ।

आज तल हम घाटे में जा लए है।

पहले जैसी पूड़ी ( कॉमिक्स) नही बिक रही

😜😜😜